रायगढ़। सरकार राजस्व विभाग में हड़तालों से चौतरफा घिर गई है। पटवारियों के बाद तहसीलदार भी तीन दिन के हड़ताल पर चले गए। इधर राजस्व निरीक्षकों ने पटवारियों के काम उनको न दिए जाएं क्योंकि बिना राजस्व अभिलेखों को काम नहीं किया जा सकता।वर्तमान में राजस्व कार्यालयों और न्यायालयों में काम ठप हो गया है। पटवारियों ने 32 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन छेड़ दिया है। पिछली कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में भी ऐसा ही आंदोलन किया गया था जिसे अचानक खत्म कर दिया गया था।
इस बार पटवारियों ने बिना सरकार से बातचीत के आंदोलन छेड़ दिया है। रायगढ़ जिले में आंदोलन ज्यादा धारदार है क्योंकि प्रांतीय अध्यक्ष भागवत कश्यप रायगढ़ तहसील में ही पदस्थ हैं। पटवारियों के आंदोलन से कामकाज ठप हो गया है। सीमांकन, बटांकन, नामांतरण आदि को जल्द पूरा करने के लिए कलेक्टर ने डेडलाईन दी है। अब पटवारियों के काम राजस्व निरीक्षकों को दिए जा रहे हैं जिसका विरोध शुरू हो गया है।
आरआई संघ ने ज्ञापन देकर मांग की है कि उनको पटवारियों के काम न दिए जाएं। उनका कहना है कि आय, जाति प्रमाण पत्र, सीमांकन, नक्शा बटांकन, बंदोबस्त त्रुटि सुधार आदि काम उनको दिए जारहे हैं। लेकिन बिना राजस्व अभिलेखों के ये काम पूरे करना असंभव है। इसमें गलती होने की गुंजाइश रहती है। राजस्व रिकॉर्ड तो पटवारियों के पास हैं। चालू नक्शा में बटांकन नहीं होने के बाद भी न्यायालय से प्राप्त सीमांकन प्रकरणों में निराकरण के समय आरआई से मारपीट व दुव्र्यवहार किया जाता है। प्रदेश में 1072 आरआई पदों के विरुद्ध करीब 600 ही पदस्थ हैैं। बहुत से आरआई के पास दोहरा-तिहरा प्रभार है। इसलिए हलका पटवारियों के काम राजस्व निरीक्षकों को न दिए जाएं।
आरआई संघ का कहना है कि पटवारियों के काम न करने पर आरआई पर कार्रवाई की जाती है। जबकि आरआई का काम पटवारियों के काम का निरीक्षण व पर्यवेक्षण करना है। अगर आने वाले दिनों में किसी आरआई पर कोई कार्रवाई की जाती है तो वे भी आंदोलन पर जाने को बाध्य होंगे। रायगढ़ में आरआई संगठन ने अपर कलेक्टर राजीव पांडेय को ज्ञापन दिया है।