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सिवनी नहर पुल और कोलवासरी की वजह से सड़कें बनीं जानलेवा …

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जांजगीर-चांपा/सिवनी।  विकास के बड़े-बड़े दावे करने वाली शासन-प्रशासन की सच्चाई जमीनी हकीकत में साफ नजर आ रही है। जिला मुख्यालय जांजगीर से महज कुछ किलोमीटर दूर स्थित सिवनी(नैला) जैसे गांव आज भी बदहाल सड़कों, अव्यवस्थित निर्माण कार्यों और प्रशासनिक लापरवाही के कारण जान जोखिम में डालकर जीने को मजबूर हैं।

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सिवनी नहर पुल बना मौत का रास्ता – सिवनी नहर पुल पर ठेकेदार महावीर कोलवासरी द्वारा निर्माण सामग्री – गिट्टी और डस्ट – खुले में डाल दी गई है, बिना किसी सुरक्षा संकेत या ट्रैफिक नियंत्रण के। इससे पुल पर लगातार दुर्घटनाओं का खतरा बना हुआ है। हाल ही में एक ऑटो दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिससे वाहन क्षतिग्रस्त हो गया। सौभाग्य से जानमाल का नुकसान नहीं हुआ, लेकिन हर दिन यह खतरा बना हुआ है।

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कोलवासरी के कारण – भारी वाहनों से टूटी सड़क, जानलेवा गड्ढों से भरी – नैला बलौदा मार्ग जो सिवनी से होकर गुजरने वाली भारी वाहनों की आवाजाही ने वहां की सड़कों की हालत और खराब कर दी है। हर मोड़ पर गड्ढे, धूल और कीचड़ – ये दृश्य आम हो चुके हैं। आवागमन करने वाले नागरिकों के लिए यह सफर अब कष्टदायक नहीं, बल्कि जानलेवा हो गया है।

जिला मुख्यालय के करीब फिर भी हाल बेहाल – यह सबसे शर्मनाक तथ्य है कि यह पूरा क्षेत्र जांजगीर जिला मुख्यालय से केवल 5 किलोमीटर की दूरी पर है। बावजूद इसके यहां की हालत किसी उपेक्षित क्षेत्र से कम नहीं। मूलभूत सुविधाएं तक नदारद हैं। नागरिकों को अब यह महसूस हो रहा है कि उनके साथ प्रशासन सौतेला व्यवहार कर रहा है।

अधिकारियों की चुप्पी बनी जनता के लिए अभिशाप – स्थानीय नागरिकों द्वारा की गई कई शिकायतों के बावजूद प्रशासन मौन है। न जनप्रतिनिधि जाग रहे हैं, न विभागीय अधिकारी। लगता है जैसे हादसे और मौतें होने के बाद ही यह व्यवस्था जागेगी।

जनता में आक्रोश, प्रदर्शन की चेतावनी – स्थानीय निवासियों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो वे सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन करेंगे। उनका कहना है कि अब “जान हथेली पर रखकर जीना” रोजमर्रा की मजबूरी बन गई है।

सिवनी और कोलवासरी क्षेत्र आज एक प्रशासनिक विफलता का प्रतीक बन चुके हैं। महावीर कोलवासरी जैसे की मनमानी और अधिकारियों की चुप्पी मिलकर आम जनता के लिए हर दिन को संघर्षपूर्ण और खतरनाक बना रही है। यदि समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यह क्षेत्र किसी बड़ी त्रासदी का केंद्र बन सकता है।

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