चुनाव आते ही दावेदारों की बनने लगती है लंबी सूची, जबकि जनता के ज्वलंत मुद्दों को सुलझा पाने में हमारे नेता कितने सक्षम…
जांजगीर-चांपा। विधानसभा चुनाव आते ही दावेदारों की लंबी सूची बनने लगती है, लेकिन धरातल के कई ज्वलंत मुद्दों को सुलझा पाने में हमारे नेता खुद को अक्षम पाते हैं। यही वजह है कि जिला मुख्यालय जांजगीर के ओवरब्रिज और नल से पानी मुहैया कराने का ज्वलंत मुद्दा एक दशक पुराना है, जिसे पूरा करा पाने जिम्मेदार अफसर तो नाकाम है ही, लेकिन हमारे नेताओं का प्रयास भी नाकाफी है। यही वजह है कि आज जिला मुख्यालय के आधे वार्ड प्यासे है तो वहीं चिलचिलाती धूप में लोगों को खोखसा फाटक में पसीना बहाना पड़ रहा है।
जल जीवन मिशन के जरिए हर घर में पानी मुहैया कराने का दावा किया जा रहा है, लेकिन जिला मुख्यालय जांजगीर में यह योजना धरातल पर दम तोड़ रही है। जांजगीर के सभी वार्डों में नल से पानी देने का प्रयास करीब दस सालों से किया जा रहा है, लेकिन अब तक आधे वार्ड के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए मशक्कत कर रहे हैं। इस बीच नगरपालिका जांजगीर नैला ने कई बार ठेकेदार के जरिए नल से पानी उपलब्ध कराने का प्रयास किया, लेकिन ठेकेदार की लापरवाही और प्रशासनिक कमजोरी से यह योजना धरी की धरी रह गई। अभी गर्मी में जलस्तर काफी नीचे चला गया है, जिसके चलते बोर से भी लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है। ऐसी स्थिति में पेयजल का महत्वपूर्ण साधन नल ही होता है, लेकिन जांजगीर के करीब आधे वार्ड में नल की ही व्यवस्था नहीं है। ऐसी स्थिति में टैंकर से भेजे गए पानी के लिए लोग रतजगा करने मजबूर है। कुछ इसी तरह का हाल खोखसा ओवरब्रिज का है। ब्रिज का निर्माण करीब दस साल पहले प्रारंभ हुआ था, लेकिन ठेकेदार की लापरवाही और प्रशासनिक कमजोरी के चलते आज भी लोगों को फाटक में पसीना बहाना पड़ रहा है। अभी तापमान का पारा 45 के पार है। ऐसी स्थिति में चिलचिलाती धूप में खड़े फाटक खुलने का इंतजार करना लोगों को काफी महंगा पड़ रहा है। लेकिन लोगों के पास और कोई रास्ता ही नहीं है। हावड़ा-मुंबई रेलमार्ग और स्टेशन के करीब यह फाटक हर दो से तीन मिनट में बंद हो जाता है और कई बार तो 15 से 20 मिनट और आधा घंटे तक फाटक बंद रहता है। आसपास छांव भी नहीं है। ऐसी स्थिति में लोगों की फजीहत होना स्वभाविक है। हालांकि इस माह तक ओवरब्रिज प्रारंभ होने का दावा किया जा रहा है, लेकिन अभी सडत्रक और विद्युतीकरण का काम अधूरा है, जिसे पूरा कर ब्रिज को प्रारंभ करने की दिशा में प्रयास काफी नहीं है। विडंबना यह है कि हमारे नेताओं में भी इतनी क्षमता नहीं रह गई है कि वो इस ज्वलंत मुद्दों से लड़कर जनहित में इन दोनों कार्यों को प्रारंभ करा दे। जबकि हर बार विधानसभा सहित अन्य चुनावों में दावेदारो ंकी लंबी सूची सबको दिखती है, लेकिन इन नेताओं को खुद आंकलन करना चाहिए कि क्या वो जनता के हित में कार्य करने के लिए वो खुद को कितने सक्षम पाते है।