चांपा राजस्व विभाग में बिन पैसे सब शून्य,भूमि रोड के पास होने पर 50 हजार पीछे होने पर 30 हजार रुपये फिक्स …
जांजगीर-चांपा। चाम्पा के राजस्व विभाग में अंधेर नगरी मची हुई है चाहे वो छोटे कर्मचारी क्यों ना हो इससे लेकर बड़े अधिकारी तक लोगों को इस कदर परेशान कर रखा है कि लोग यह कहने लगे हैं की कौन सी सरकार आएगी तब जाकर राजस्व के मामले में लोगों की परेशानी खत्म होगी। राजस्व मामले में बिना रिश्वत के कोई काम नहीं होता यह कोई आम बात नहीं है और कई बार रिश्वत के साथ पटवारी पकड़े भी गए हैं पर इसके बावजूद यह रिश्वत वाला चलन खत्म होने का नाम नहीं ले रहा ऐसा लग रहा है कि इन्हें तनख्वाह ही रिश्वत लेने की दी जा रही है बिना रिश्वत के एक कागज पर साइन नहीं होता कई ऐसे मामले देखे जा चुके हैं इसके बावजूद इस पर नियंत्रण लगा पाने में सरकार भी नाकाम होती दिख रही है। पटवारियों को तो हाल और भी बुरा है पटवारी हर काम के लिए बिना पैसे के कागज पर हस्ताक्षर नहीं करते सील लगाकर रखेंगे पर हस्ताक्षर तो पैसा मिलने के बाद ही करेंगे
🔴 भूमि का सीमांकन , ऋण पुस्तिका बनाने के एवज में पटवारी, आर आई मांगते हैं हजारो रूपए, शिकायत पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं।भूमि का नक्शा बटाकन, ऋण पुस्तिका बनाने के एवज में रूपए का मांग किया जाता हैं।पटवारीयों के द्वारा कार्य के एवज में हजारो रूपए की मांग बतौर फीस के रूप में की जाती हैं तभी कार्य का होना उनके द्वारा बताया जाता हैं । उनके मांग के अनुरूप कम पैसे देने पर पटवारी के द्वारा और भी राशि की मांग की जाती हैं , क्योंकि ये कहते हैं कि इतने पैसे में संबंधित आरआई उक्त कार्य के लिए एप्रूवल नहीं करेंगे। इस तरह पैसे की मांग कर लोगों को आर्थिक एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा हैं।
कलेक्टर जनदर्शन मे गारंटी इस बात की दी जाती हैं कि यहां लगने वाले तकरीबन हर मामलों की सुनवाई होगी। विभाग चाहे जो भी हो। हर विभाग के अफसर मौजूद रहेंगे और मौके पर उन्हें जनता की अर्जियों को देखकर निराकरण करना अनिवार्य होगा। इसके उलट राजस्व विभाग में पटवारी, तहसीलदार और आरआई से जुड़े कई मामलों में आज तक सुनवाई नहीं हुई है। जिले के तकरीबन हर क्षेत्र से पीड़ितों ने आवेदन किया है। पीड़ा बताई है। सरकारी भाषा में अर्जियां लगाई हैं। पर इनका निराकरण क्यों नहीं हो पाया जवाब किसी के पास नहीं है।
जमीन का सीमांकन और बटांकन करना जरूरी है। फिर भी आरआई और दूसरे अधिकारी घुमा देते हैं। काम के लिए वे पटवारियों के नाम का बहाना करते हैं। लोग भटक रहे हैं। लोगों के मुताबिक अब उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वे कहां जाएं? किससे अपनी बात कहें। जमीन नामांतरण और सीमांकन करने में हीलाहवाला।कइयों के जमीन का नामांतरण आज तक नहीं हो पाया है। जब भी राजस्व अधिकारियों के पास जा रहे हैं उन्हें कल आना और परसो आना की बात कही जा रही है। उन्हें जमीन के सीमांकन और नामांतरण कराने की जरूरत है। फिर भी सुनवाई नहीं हो रही।आम जनता से रिश्वत की मांग पर अंकुश लगे। पटवरियों पर प्रशासनिक कसावट नही होने से पटवारी बेलगाम से हो गए है। अपने हल्का में कभी बैठते नही है। बल्कि अपने निजी निवास को ही अपना हल्का बना कर रखे हुए है। जिसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से कई दफा करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होती है जिसके कारण इनका हौसला काफी बुलंद हो गया है।
🔴 अब तक अधिकारी-कर्मचारियों द्वारा रकम लेकर काम करने जैसे शिकायत नही मिली है,शिकायत पर त्वरित कार्यवाही की जाएगी – के के जायसवाल, तहसीलदार चांपा