
जांजगीर-चांपा। जिले में चल रही युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया पर शिक्षक समुदाय ने गंभीर आपत्ति जताई है। शिक्षक साझा मंच जांजगीर-चांपा ने कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपकर आरोप लगाया है कि जिले में अतिशेष शिक्षकों की गणना शासन के निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुरूप नहीं की जा रही है।
दर्ज संख्या में की जा रही मनमानी –
ज्ञापन में बताया गया है कि शासन द्वारा स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि स्कूलों की छात्र संख्या की गणना 31 मार्च 2025 की स्थिति के अनुसार की जाए। लेकिन जिले में दर्ज संख्या में से लगातार अनुपस्थित विद्यार्थियों को घटाकर आंकड़े तैयार किए जा रहे हैं, जो कि शासन की नीति के विरुद्ध है। प्रदेश के अन्य जिलों में केवल दर्ज संख्या को ही आधार बनाकर युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया संपन्न हो रही है।

ना सूची, ना दावा-आपत्ति, सीधे काउंसलिंग की तारीख –
शिक्षकों का कहना है कि बिना किसी अंतरिम सूची के प्रकाशन और दावा-आपत्ति का अवसर दिए बगैर काउंसलिंग की तिथि घोषित कर दी गई है। यह प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शिता और न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। इससे कई शिक्षक अनावश्यक रूप से अतिशेष घोषित हो सकते हैं।
सेवानिवृत्त शिक्षकों के पदों की अनदेखी –
ज्ञापन में यह भी उल्लेख है कि जिन शिक्षकों की सेवानिवृत्ति निकट है—एक या दो माह में—उनके पदों को रिक्त मानकर युक्तियुक्तकरण किया जाना चाहिए, जिससे स्कूलों में सत्र के बीच शिक्षक की कमी न हो। लेकिन इस सुझाव की भी अनदेखी की गई है, जिससे कई स्कूल पुनः एकल शिक्षकीय या शिक्षक विहीन हो सकते हैं।

मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग –
शिक्षक साझा मंच ने मांग की है कि मुख्यमंत्री इस मामले में तत्काल हस्तक्षेप करें और यह सुनिश्चित करें कि युक्तियुक्तकरण की प्रक्रिया शासन के नियमों के अनुसार, पारदर्शिता और न्याय के साथ पूरी हो, ताकि किसी शिक्षक के साथ अन्याय न हो।
जिलाध्यक्ष रविंद्र राठौर, सहायक शिक्षक समग्र शिक्षक जांजगीर-चांपा, जिला संयोजक राजीव नयन शुक्ला, सहायक शिक्षक समग्र शिक्षक जांजगीर-चांपा ने समस्त अतिशेष शिक्षकों से निवेदन किया है कि काउंसिल की प्रक्रिया में शामिल न हो और अपना कड़ा विरोध प्रदर्शन करें।
