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मनरेगा से कुएं के निर्माण से मिली राहत, अब रामनारायण के खेतों में लहलहा रही फसलें …

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जांजगीर-चांपा। हितग्राही  रामनारायण के फसलों के लिए पानी की सुविधा नहीं थी, खेतों में फसलें सूख रही थीं। परिवार को रोज़ाना दूर-दराज़ से पानी लाना पड़ता था। हालात इतने कठिन हो गए थे कि खेती करना लगभग असंभव हो गया था। ऐसे में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत जांजगीर-चांपा जिले के विकासखंड नवागढ़ की ग्राम पंचायत दहिदा में कुआँ निर्माण कार्य करने के बाद किसान रामनारायण का जीवन पूरी तरह बदल गया। लंबे समय से पानी की समस्या से जूझ रहे इस परिवार को खेती किसानी में सुविधा के साथ मवेशियों के पीने एवं अन्य उपयोग के लिए पानी भी उपलब्ध हो गई है।

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रामनारायण के लिए यह किसी कहानी से कम नहीं है जब परिवार पानी के संकट से गुजर रहा था। तब उनके जीवन में महात्मा गांधी नरेगा इस संकट की घड़ी में वरदान साबित हुआ। मनरेगा से हितग्राही मूलक कार्य के तहत कुआं, डबरी एवं अन्य कार्यों के बारे में ग्राम सभा एवं रोजगार सहायक से जानकारी मिली। सभी जानकारी लेने के उपरांत रामनारायण ने अपने खेतों में पानी के लिए कुआं निर्माण कार्य कराने का विचार किया और परिवार से चर्चा उपरांत प्रस्ताव के आवेदन दिया। ग्राम सभा में रामनारायण के कुआं निर्माण के आवेदन को मंजूर किया गया और प्रस्ताव तैयार कराकर उसे ग्राम सभा से पास कराया गया। वर्ष 2023-24 में मनरेगा योजना अंतर्गत 2.52 लाख रुपये की लागत से कुआँ निर्माण कार्य स्वीकृत हुआ। इस कार्य से 354 मानव दिवस का सृजन हुआ।

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कुएं के निर्माण से अब रामनारायण को खेतों की सिंचाई और घर-परिवार की जरूरतों के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो रहा है। खेतों में अच्छी फसल आने लगी है, पशुओं को भी पानी मिल रहा है और आमदनी में बढ़ोतरी हुई है। ग्राम पंचायत दहिदा की ग्राम सभा में प्रस्ताव पारित कर कुआँ निर्माण की स्वीकृति दी गई। कार्य के प्रारंभ में कठोर मिट्टी और गहराई में चट्टान जैसी बाधाएँ सामने आईं, लेकिन पंचायत, तकनीकी टीम और मनरेगा मजदूरों के सहयोग से यह कार्य पूरा हो सका। कुआँ बनने के बाद रामनारायण के खेतों के भरपूर पानी मिला और फसलें लहलहाने लगी। पशुओं के लिए भी पानी की पर्याप्त व्यवस्था हो गई है। आय में वृद्धि हुई है और परिवार का जीवन स्तर बेहतर हो गया है। रामनारायण का कहना है कि पहले हमें पानी की समस्या से बहुत परेशान होना पड़ता था। खेती करना कठिन हो गया था। कुआँ बनने के बाद खेतों में सिंचाई की सुविधा मिल गई है और घर के लिए भी पर्याप्त पानी उपलब्ध है। इससे हमारी आय बढ़ी है और जीवन में सुख-शांति आई है। इस कार्य से आसपास के लोगों को भी लाभ मिल रहा है। गाँव के अन्य किसान भी अब कुआँ निर्माण कार्य से प्रेरणा ले रहे हैं। मनरेगा के तहत हुए इस कुआँ निर्माण कार्य ने जल संरक्षण और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक मिसाल कायम की है।

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