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फसल चक्र परिवर्तन और प्राकृतिक खेती से होगा जल संरक्षण एवं किसानों की आय में वृद्धि – कलेक्टर …

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🔴 जल संरक्षण एवं किसानों की आय में वृद्धि कृषि विज्ञान केन्द्र जांजगीर में कृषि क्षेत्र में कृषि यंत्रीकरण का उपयोग विषय पर एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्नकलेक्टर ने किसानों से सीधे संवाद कर दिए महत्वपूर्ण सुझावफसल चक्र परिवर्तन, जल संरक्षण और वैकल्पिक फसलों के प्रोत्साहन पर दिया जोर, शासन दे रहा है हर संभव सहयोग

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जांजगीर-चांपा। कृषि क्षेत्र में यंत्रीकरण के बढ़ते उपयोग और किसानों की आय में वृद्धि को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र जांजगीर-चांपा में कृषि क्षेत्र में कृषि यंत्रीकरण का उपयोग विषय पर एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने किसानों से सीधे संवाद किया। इस कार्यक्रम का आयोजन विभाग फार्म मशीनरी एवं पावर अभियांत्रिकी, इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छत्तीसगढ़) द्वारा किया गया तथा इसका प्रायोजन अनुसूचित जाति उप योजना एवं अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना फार्म कार्यान्वयन एवं मशीनरी, इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा किया गया। इस अवसर पर जिला पंचायत सीईओ गोकुल कुमार रावटे, उप संचालक कृषि ललित मोहन भगत, सहायक संचालक उद्यानिकी श्रीमती रंजना माखिजा, वरिष्ट वैज्ञानिक डॉ के डी महंत, डॉ आर के नायक, अधिष्ठाता डॉ ए पी अग्रवाल सहित संबंधित अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।

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कलेक्टर ने कहा कि धान के साथ-साथ हमें अधिक लाभ दायक फसलों की ओर भी बढ़ना चाहिए जो कम पानी में अधिक लाभ दें। जैसे तिलहन, दलहन, और फूलों की खेती विशेष रूप से गेंदा फूल जैसी फसलें न केवल आय का नया स्रोत बन सकती हैं, बल्कि इनसे ग्रामीण महिलाओं के लिए भी रोजगार के अवसर सृजित होंगे। उन्होंने कहा कि किसान अपनी फसल प्रणाली में विविधता लाएं, जिससे जल संरक्षण के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहे। कलेक्टर ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि वे किसानों के साथ मिलकर संभावित वैकल्पिक फसलों जैसे तिल, सूरजमुखी, सरसों, चना, मसूर और गेंदा फूल जैसी व्यावसायिक फसलों के लिए क्षेत्रवार योजना तैयार करें। उन्होंने कहा कि शासन की ओर से किसानों को हर संभव सहयोग दिया जाएगा और खरीदी केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं ताकि वैकल्पिक फसलों के उत्पाद की उचित कीमत किसानों को मिल सके।

कलेक्टर ने कहा कि हमें जल-संरक्षण और प्राकृतिक खेती की दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे। प्राकृतिक खेती केवल खेती की तकनीक नहीं बल्कि स्वास्थ्य और पर्यावरण संरक्षण का माध्यम है। उन्होंने किसानों से आग्रह किया कि वे धीरे-धीरे प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ें ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे और रासायनिक खेती से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके। उन्होंने बताया कि शासन द्वारा प्राकृतिक खेती के प्रसार हेतु निर्देश जारी किए गए हैं और किसानों को इस दिशा में प्रशिक्षण एवं तकनीकी सहयोग उपलब्ध कराया जाएगा।

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कार्यक्रम में फार्म मशीनरी एवं पावर अभियांत्रिकी विभाग के वैज्ञानिकों ने आधुनिक कृषि यंत्रों, ट्रैक्टर आधारित उपकरणों और फसल कटाई की नवीन विधियों की जानकारी दी। उद्यानिकी विभाग के विशेषज्ञों ने इंटरक्रॉपिंग तकनीक पर विस्तार से बताया कि कैसे तेल पाम, सब्ज़ी एवं गेंदा फूल जैसी फसलों को मिश्रित रूप से लेकर भूमि की उत्पादकता और किसानों की आय को बढ़ाया जा सकता है। अंत में कलेक्टर श्री महोबे ने किसानों से कहा कि किसानों की प्रगति ही जिले की प्रगति है। प्रशासन हमेशा किसानों के साथ है, और यदि किसी भी प्रकार की तकनीकी या योजनागत सहायता की आवश्यकता हो, तो जिला प्रशासन तत्पर रहेगा। उन्होंने सभी किसानों को राज्योत्सव 2025 की शुभकामनाएँ दीं और जिले में आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में सहभागिता का आग्रह किया।

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