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जांजगीर-चांपा के मुद्दों पर मुखर रहे ब्यास कश्यप, विधानसभा में उठाईं समस्याएं, वंदे मातरम पर ऐतिहासिक संबोधन …

जांजगीर-चांपा। विधायक ब्यास कश्यप ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में जिले से जुड़ी विभिन्न जनसमस्याओं को प्रमुखता से उठाया। उन्होंने सत्र के दौरान कुल 12 प्रश्नोत्तरी, 6 ध्यानाकर्षण, 1 शून्यकाल प्रश्न प्रस्तुत किया, वहीं जांजगीर-चांपा विधानसभा के ग्राम बोड़सरा में नवीन महाविद्यालय तथा चांपा में नवीन कन्या महाविद्यालय प्रारंभ करने हेतु 2 याचिकाएं भी लगाईं।
सदन के अंतिम दिवस में राष्ट्रगीत “वंदे मातरम्” के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में विशेष चर्चा कराई गई। इस दौरान सदन को संबोधित करते हुए विधायक ब्यास कश्यप ने कहा कि उन्हें गर्व है कि आज हम वंदे मातरम् की 150वीं जयंती मना रहे हैं। भारत की आजादी की लड़ाई में जिन वीरों ने वंदे मातरम् का नारा लगाते हुए अपने प्राण न्योछावर किए, उन्हें स्मरण करने के लिए आज पूरा सदन एकत्र है।

उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस उद्देश्य से यह विषय सदन में लाया गया, उसी पर आरोप-प्रत्यारोप किए जा रहे हैं, जो उचित नहीं है। ब्यास कश्यप ने अपने संबोधन में वंदे मातरम् के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह गीत 7 नवंबर 1875 को बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित किया गया, जिसके प्रथम दो पद संस्कृत में हैं। इसे गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर ने संगीतबद्ध किया और पहली बार 27 दिसंबर 1896 को कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में सार्वजनिक रूप से गाया गया। वर्ष 1950 में इसे भारत का राष्ट्रीय गीत घोषित किया गया।
उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् ऐसा गीत है, जिस पर देश के लगभग सभी राजनीतिक दल नतमस्तक होते हैं। कांग्रेस हो या भाजपा, सभी दलों के कार्यक्रमों की शुरुआत वंदे मातरम् से होती रही है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान भी यह नारा देशभक्ति और प्रेरणा का प्रतीक था।
इस दौरान सदन में मंत्री केदार कश्यप और विधायक सुशांत शुक्ला के साथ ब्यास कश्यप की तीखी बहस भी देखने को मिली। मंत्री केदार कश्यप ने कश्मीर और धारा 370 का मुद्दा उठाया, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने हस्तक्षेप करते हुए सदन की मर्यादा बनाए रखने और विधायक को बोलने का अवसर देने के निर्देश दिए।

राम मंदिर आंदोलन से जुड़े प्रश्न पर विधायक ब्यास कश्यप ने कहा कि वे इलाहाबाद से अयोध्या तक एक सप्ताह पैदल गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि विचारधारा अलग हो सकती है, लेकिन वंदे मातरम् ऐसा विषय है जो सभी को जोड़ता है और देश की एकता व अखंडता का प्रतीक है।
ब्यास कश्यप के इस भावनात्मक और ऐतिहासिक संबोधन के दौरान सदन में कई बार मेज थपथपाकर समर्थन भी जताया गया।

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