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कृषि उपज मंडी के जिम्मेदार अफसरों की मर गई मानवता, प्रक्रिया के जाल में उलझाकर मंडी के बीमार कर्मचारी को राशि देने कर रहे आनाकानी…

जांजगीर-चांपा। कांग्रेस सरकार के दावों पर पलीता लगाने कृषि उपज मंडी के जिम्मेदार अफसर कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। इनकी कार्यप्रणाली से जाहिर है मंडी के जिम्मेदार अफसरों की मानवता पूरी तरह मर गई है। यही वजह है कि प्रावधान होने के बावजूद एक कर्मचारी को इलाज के लिए अग्रिम राशि देने आनाकानी की जा रही है, जिसके चलते बीमार कर्मचारी की पत्नी अपोलो अस्पताल बिलासपुर का बिल चुकाने दर-दर की ठोखरे खाने मजबूर है।

गौरतलब है कि कृषि उपज मंडी जैजैपुर में सहायक ग्रेड के पद पर चांपा का अब्दुल गफ्फार खान पदस्थ है। वो पिछले कुछ समय से हृदय से संबंधित बीमारी से जुझ रहे हैं। तबीयत बिगड़ने पर कर्मचारी अब्दुल को बीते माह अपोलो अस्पताल बिलासपुर में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के बाद वो स्वस्थ्य हो गए। इस बीच कर्मचारी की पत्नी को कृषि मंडी विभाग से अस्पताल के इस्टीमेट का 80 फीसदी राशि भुगतान की गई, लेकिन बाद में कर्मचारी की समस्या बढ़ गई। इसके कारण बिल लाखों में बन गया। अब करीब छह लाख का इस्टीमेट फिर से मंडी विभाग को दिया गया है, लेकिन विभाग के जिम्मेदार अफसर फाइनल बिल जमा करने के बाद ही इस्टीमेट की राशि जारी करने का हवाला दे रहे हैं, जबकि इन जिम्मेदारों को ये नहीं पता कि किसी भी अस्पताल में जब तक बिल की राशि अदा नहीं की जाती, तब तक फाइनल बिल मिल पाना मुश्किल है। इसी पेंच को फंसाकर मंडी के जिम्मेदार अफसर राशि जारी करने आनाकानी कर रहे हैं। इधर, अपोलो अस्पताल प्रबंधन कर्मचारी और उसके परिवार पर रोज बिल जमाकर डिस्चार्ज कराने दबाव बना रहा है। ऐसे हालात में कर्मचारी की पत्नी ने कई प्रभावशील लोगों के सामने मिन्नतें भी की, लेकिन मंडी के जिम्मेदार किसी के कहने पर भी बात नहीं सुन रहे हैं। शायद इन्हें ऐसा लग रहा है कि ये अपने जेब से पैसा दे रहे हैं, जबकि पैसा सरकार का है और नियम भी है कि विभाग के किसी भी कर्मचारी के बीमार होने पर अग्रिम भुगतान करने का प्रावधान है। लेकिन प्रक्रिया के जाल में उलझाकर इन्हें दर-दर की ठोखरे खाने को मजबूर कर दे रहे हैं। यहां तक जैजैपुर मंडी के अध्यक्ष ने वहां के सचिव से भी बात करते हुए कहा कि प्रक्रिया बाद में भी पूरी हो सकती है। पहले कर्मचारी की जान बचानी जरूरी है, लेकिन इन बातों को दरकिनार करते हुए मंडी के अफसर अपनी जिद पर अड़े हैं। इससे जाहिर है कि इनकी मानवता पूरी तरह से मर गई है।

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