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ब्रिज की सड़क पर सालों पहले हुआ था डामरीकरण, जिसमें डामर का महज लेप लगाकर किया गया लोगों के हवाले, आनन-फानन में खोखसा ब्रिज का लोकार्पण, ब्रिज की सड़क पहली बारिश झेल पाएगी या नहीं?…

जांजगीर-चांपा। दस साल बाद आखिरकार लोगों को खोखसा ओवरब्रिज की सौगात मिल गई। रेलवे ने 15 दिन पहले ही अपना काम पूरा कर लिया था। फिर भी लोक निर्माण (सेतु) ने कल दोपहर बाद आनन फानन में लाइट और जैसे तैसे डामरीकरण कर आज ओवरब्रिज का लोकार्पण करा दिया। खास बात यह है कि ब्रिज के उपर सड़क पर सालों पहले डामरीकरण कराया गया था, जो कई बारिश और धूप झेलने के बाद जर्जर अवस्था में था। इस पर महज डामर का लेप लगाकर लोगों के हवाले कर दिया गया।

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जांजगीर और चांपा के बीच खोखसा फाटक पर दस साल पहले ओवरब्रिज का निर्माण प्रारंभ हुआ था। जिम्मेदार अफसरों की उदासीनता से ब्रिज का काम पिछड़ता गया। क्षेत्रीय नेताओं ने ब्रिज को प्रारंभ कराने प्रयास भी किया, लेकिन वो भी काफी नहीं था। यही वजह है कि विभिन्न कारणों का हवाला देते हुए ब्रिज की सौगात समय पर लोगों को नहीं मिल सकी। कल ही हमनें दोपहर को ओवरब्रिज को लेकर खबरें प्रसारित की थी। इसके बाद आनन फानन में ब्रिज के उपर लाइट और डामरीकरण का लेप चढ़ाने का काम किया गया। ब्रिज स्थल पर लगे शिलालेख के मुताबिक, लोक निर्माण (सेतु) ने अपने हिस्से का काम 15 दिसंबर 2018 को पूरा कर लिया था। मतलब, सड़क के उपर डामरीकरण का काम करीब साढ़े चार साल पहले ही हो गया था। इस बीच पांच धूप और बारिश झेलने के कारण डामरीकरण उखड़ने लगा था। उद्घाटन से पहले सड़क पर नए सिरे से डामरीकरण की आवश्यकता थी, लेकिन आनन फानन में विभाग ने डामर का लेप चढ़ाकर ब्रिज को लोगों के हवाले कर दिया।

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जानकारों की मानें तो इस बारिश के बाद सड़क की स्थिति जर्जर हो जाएगी। लोगों का यह भी कहना है कि जब रेलवे ने 15 जून को काम पूरा कर लिया था, तो विभाग ने इन 15 दिनों में डामरीकरण का काम नए सिरे से आखिर क्यों नहीं कराया। बहरहाल, दस साल बाद ब्रिज स्थल में एक कार्यक्रम आयोजित कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के हाथों ब्रिज का ऑनलाइन शुभारंभ कराया गया। कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत, गोसेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास, नेता प्रतिपक्ष नारायण चंदेल, सांसद गुहाराम अजगले सहित जनप्रतिनिधि व लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

आमलोगों ने ली राहत की सांस
जांजगीर और चांपा के बीच हावड़ा-मुंबई रेल मार्ग पर स्थित खोखसा फाटक जिले के लिए अभिशाप से कम नहीं था। क्योंकि इस फाटक को पार करना इतना आसान नहीं था। अक्सर यह फाटक बंद रहता था। झमाझम बारिश और चिलचिलाती धूप में भी लोगों को यहां फाटक खुलने का इंतजार करना पड़ता था। इस गंभीर समस्या से आमजन त्रस्त हो चुका था। ब्रिज का कार्य कछुए को भी मात दे रहा था। प्रशासनिक लापरवाही और ठेकेदारों पर अफसरों का नियंत्रण नहीं होने के कारण आमजन इस गंभीर समस्या से जूझ रहे थे। आज ब्रिज के प्रारंभ होते ही लोगों ने राहत की सांस ली है।

फिर डामरीकरण का नहीं था औचित्य
इस संबंध में लोक निर्माण (सेतु) के एसडीओ रमेश वर्मा का कहना है कि डामरीकरण का कार्य पहले हो गया था। इसलिए फिर से डामरीकरण कराए जाने का कोई औचित्य नहीं था। फिर भी डामर का लैप चढ़ाया गया है। रात भर काम चला है। इसके बाद ब्रिज का लोकार्पण कर आज से इस ब्रिज की सौगात लोगों को दी गई है।

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