छत्तीसगढ़जांजगीर चांपा

महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी की वांग्मय विशाल -पं.हरिहर तिवारी …

चांपा। साहित्य सेवा के क्षेत्र में 1961से अनवरत संचालित अग्रणी एवं प्राचीनतम साहित्यिक संस्थान निराला साहित्य मंडल चांपा द्वारा कैलाश सॉ मिल चांपा कार्यालय के सभागार कक्ष में तुलसी जयंती समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में निराला साहित्य मंडल के मुख्य संरक्षक पं. हरिहर प्रसाद तिवारी,अध्यक्ष राजेश अग्रवाल एवं श्री रामचरित मानस के छतीसगढ़ी अनुवादक वरिष्ठ गीतकार पं रामगोपाल गौराहा मंचासीन थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में मुख्य संरक्षक पं. हरिहर तिवारी, अध्यक्ष राजेश अग्रवाल,पं रामगोपाल गौराहा, श्रीमती चेष्टा शुक्ला, एवं मंडल के सदस्यों द्वारा मां सरस्वती, गोस्वामी तुलसीदास,सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, स्वर्गीय मोहनलाल वाजपेयी जी के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर पूजन वंदन किया गया। तत्पश्चात् बाल विदुषी बिटिया सांझ अग्रवाल ने अपने मधुरकंठ से संस्कृत मंत्रों के साथ मां सरस्वती,गणेश जी की वंदना,स्तुति प्रस्तुत की।
तुलसी जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य संरक्षक पंडित हरिहर प्रसाद तिवारी ने संस्कृत के श्लोकों के माध्यम से कहा कि महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी के आदर्श प्रभु रामजी थे। प्रभु राम के नाम का स्मरण मनुष्य के जीवन में बहुत ही उपयोगी है। प्रभु नाम जप हर प्रकार के कष्टों को दूर करने में सहायक है यह शास्त्र प्रमाणित है।उन्होंने कहा कि महाकवि तुलसीदास जी की वांग्मय बहुत विशाल है।

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नागेन्द्र गुप्ता ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गोस्वामी तुलसीदासजी श्री रामचरितमानस की रचना कर विश्व में अद्भुत एवं अद्वितीय कवि कहलाये। आज तक जितने कवि हुए उनमें तुलसीदास जी ही एकमात्र ऐसे कवि हुए जिन्होंने सार्वदेशिक स्थान बनाया है।
श्रीमती कुमुदिनी द्विवेदी ने तुलसीदास जी के जीवन दर्शन पर अपने उद्गार में कहा कि तुलसीदास जी ने श्रीरामचरितमानस में सत्य, शील, सौंदर्य, नीति व्यवहार भक्ति, ज्ञान, वैराग्य के हितकारी तत्व को समाहित किया है। हम सभी को तुलसीदास कृत श्रीरामचरितमानस का नियमित पाठ करना चाहिए।
पंडित रामकिशोर शुक्ला ने गोस्वामी तुलसीदासजी के जीवन वृत्त पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी का बचपन अत्यंत कष्टमय व्यतीत हुआ।आगे हनुमान जी के कृपा प्रेरणा से तुलसीदास जी ऐसे महान संत हुए जो प्रभु श्रीराम,लक्ष्मण एवं हनुमान जी का साक्षात दर्शन किये हैं। उन्होंने इस दोहे के साथ स्पष्ट किया।
चित्रकुट के घाट में भई संतन की भीड़।कार्यक्रम का संचालन करते हुए रविन्द्र द्विवेदी ने कहा कि घोर अव्यवस्था, अशांति एवं निराशा के वातावरण काल में जन्मे महाकवि गोस्वामी तुलसीदास जी ने जिस मर्यादा पुरुषोत्तम राम को अपनी आस्था व श्रद्धा अर्पित की उन्हीं की कृपा से वह विश्व के श्रेष्ठ संत शिरोमणि,कवि व महान विचारक कहलाये। उन्होंने उपस्थितों से मर्यादा पुरुषोत्तम राम के द्वारा बताए गए आदर्श एवं सिद्धांतों पर चलने की अपील कर अपना जीवन सफल बनाने का अनुरोध किया।
इस अवसर पर पं रामगोपाल गौराहा ने श्रीरामचरित मानस के दोहे को छतीसगढ़ी दोहे में गाकर सुनाया जो सभी को बहुत पसंद आया। उन्होंने सरल छतीसगढ़ी भाखा में अनुवादित “श्रीरामचन्द्र छत्तीसगढ़ में” नामक अपनी पुस्तक की प्रति सभी को प्रदान की। इसके पश्चात बिलासपुर से पधारी श्रीमती चेष्टा शुक्ला,श्रीमती बिन्दु तिवारी ने स्वरचित काव्य सुनाकर ख़ूब तालियां व वाहवाही बटोरी।

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राजेश अग्रवाल ने कहा कि प्रभु राम जी की अहैतुक कृपा के साथ ही तुलसीदास जी को उनके आदर्श और धर्म नीति पूर्वक सिद्धांत ने ही उन्हें महान और विश्व में पूज्यनीय बनायें हैं। हमें उनके आदर्शों को आत्मसात कर मानव जीवन को सार्थक करना चाहिए। हमें हमेशा आपस में मिलजुल रहना चाहिए।एक दूसरे को सहयोग करना चाहिए।
तुलसी जंयती कार्यक्रम में लक्ष्मीनारायण तिवारी,राज अग्रवाल, शैलेन्द्र अग्रवाल,सांझ अग्रवाल,अनिल शुक्ला, श्रीमती चेष्टा शुक्ला, श्रीमती अंजू द्विवेदी,श्रीमती रीतु तिवारी, श्रीमती बिन्दु तिवारी, श्रीमती मंजू दुबे, खेमराज, सुनील दास सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्ध नागरिकगण, एवं साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।उक्ताशय की जानकारी मंडल के प्रधान सचिव, शिक्षक एवं साहित्यकार रविन्द्र द्विवेदी ने दी है ।

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