जांजगीर-चांपा। छत्तीसगढ़ एन.सी.सी. बटालियन के कमान अधिकारी कर्नल अमिताभ श्रीवास्तव व लेफ्टिनेंट कर्नल संजीब राय के निर्देशन एवं एनसीसी अधिकारी दिनेश चतुर्वेदी के नेतृत्व में स्वाआशाउवि क्र1 जांजगीर की एन.सी.सी. उपइकाई द्वारा अंतरराष्ट्रीय नशा निषेध दिवस मनाया गया।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार एवं सेवानिवृत्त फिशरीज ऑफिसर विजय राठौर एवं प्राचार्य चक्रपाल तिवारी, व्याख्याता मुकेश कंवर उपस्थित थे। विजय राठौर ने अपने व्याख्यान में कहा नशे के कारण देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचता है और देश अंदर ही अंदर खोखला हों जाता है। मनुष्य का शरीर अनमोल है किंतु नशा के कारण कमजोर और असहाय हो जाता है। नशे की लत एक जटिल स्थिति है जिसमें व्यक्ति नशे का गुलाम बन जाता है। इसमें नशीली दवाओं की तलाश करने और उनका उपयोग करने की दृढ़ इच्छाशक्ति होती है, जिसे नियंत्रित करना मुश्किल होता है। ज्यादातर मामलों में, ड्रग्स लेने का प्रारंभिक निर्णय स्वैच्छिक प्रकृति का होता है जो ज्यादातर मनोरंजन के लिए या जिज्ञासावश होता है। हालाँकि, दवाओं का बार-बार उपयोग (जिसे नशीली दवाओं के दुरुपयोग के रूप में जाना जाता है) मस्तिष्क के कार्य करने के तरीके को बदल सकता है। यह ओवरटाइम किसी व्यक्ति की जानकारीपूर्ण निर्णय लेने और विकल्प चुनने की क्षमता में हस्तक्षेप कर सकता है, जिसमें ड्रग्स लेने की इच्छा का विरोध करने की उनकी क्षमता भी शामिल है। इसलिए नशे से बचना जरूरी है।
प्राचार्य तिवारी ने कैडेटों को संबोधित करते हुए कहा कि आज युवाओं पर नशीली दवाओं की लत के गंभीर परिणामों आ रहे हैं। यह उन्हें शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। आम धारणा के विपरीत, नशा बिल्कुल भी अच्छा नहीं है, लेकिन यह समाज की सबसे बड़ी बुराइयों में से एक है जिस पर हमें ध्यान देना चाहिए। अब समय आ गया है कि हम नशीली दवाओं की लत के स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में जानें और यह न केवल संबंधित व्यक्ति को बल्कि उसके परिवार, दोस्तों, रिश्तेदारों और बड़े पैमाने पर समाज को कैसे प्रभावित करता है। समाज के लिए नशा अभिशाप है। मुकेश कंवर ने बताया नशे से बचने के लिए नशेड़ी की दोस्ती से बचें। एन.सी.सी. अधिकारी दिनेश चतुर्वेदी द्वारा सभी एनसीसी कैडेटों को नशा न करने और नशे के विरुद्ध कार्य करने के लिए प्रेरित किया गया। कैडेट उद्भव, हुलेश्वर एवं भूपति द्वारा नशा मुक्ति पर भाषण दिया गया। अंत में एनसीसी अधिकारी द्वारा नशा न करने की शपथ दिलाई गई। इस दौरान 21 कैडेट्स उपस्थित रहे।