छत्तीसगढ़जांजगीर चांपा

श्रीमद् भागवत कथा हमारे पौराणिक काल की आध्यात्मिक विशेषताओं का संस्मरण एवं वर्तमान परिदृश्य में समाज का शोध एवं भविष्य की योजनाएं हैं : राजेन्द्र महाराज…

जांजगीर चांपा। श्रीमद् भागवत कथा हमारे पौराणिक काल की आध्यात्मिक विशेषताओं का संस्मरण एवं वर्तमान परिदृश्य में समाज का शोध एवं भविष्य की योजनाएं हैं । कथा को केवल सुनने के लिए ही नहीं सुनना चाहिए बल्कि उसे सुनकर मनन करते हुए अपने जीवन में आत्मसात भी करना होगा । कथा श्रवण से अक्षय पुण्य का लाभ एवं पापों का नाश होता है । भागवत की कथा संपूर्ण तपस्याओं, सूक्तों तथा संपूर्ण ज्ञान का फल है । कथा भगवान की छवि उतारने का साधन है । जिसमें निराकार ब्रह्म के कार्यों की विशिष्ट चर्चा हो वह भगवान की कथा है ।

WhatsApp Image 2025 10 13 at 10.02.11 Console CorptechWhatsApp Image 2025 10 01 at 13.56.11 Console Corptech

यह उद्गार बिर्रा के मध्य नगरी चौक में आयोजित संगीत में श्रीमद्भागवत के व्यासपीठ से छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध भागवताचार्य राजेंद्र महाराज ने प्रकट किया । पंचम दिवस की कथा का वर्णन करते हुए आचार्य द्वारा भगवान श्री कृष्ण के बाल लीलाओं के अंतर्गत मैया यशोदा को वैष्णवी माया दिखाना ,यम्लार्जुन उद्धार , गोवर्धन लीला , चीरहरण एवं महारास लीला का सरस वर्णन कर बताया कि भगवान के सभी लीलाओं में अद्भुत ज्ञान के साथ समसामयिक विषय पर मंथन भी है l कालिया नाग को कालिदास से रमण के दीप भेजने के पीछे भगवान का संकल्प यमुना के जल को प्रदूषण अर्थात नाग के जहर से मुक्त करना है । चीरहरण लीला का तात्पर्य स्त्रियों और पुरुषों को अपने परिधान में मर्यादा का पालन करना है , गोपियों के द्वारा प्रतिदिन निर्वस्त्र होकर यमुना में स्नान कर कात्यायनी देवी की पूजा करते हुए श्री कृष्ण को अपने पति के रूप में मांगती थी । गोपियों के द्वारा भगवान वरुण अर्थात जल देवता का अपमान देखकर भगवान ने गोपियों के वस्त्रहरण कर ज्ञान प्रदान किया कि नियमों को तोड़कर तुम्हारे व्रत कभी तो नहीं होंगे , क्योंकि आंचल के गिरने पर मर्यादा गिर जाती है और आचरण के गिर जाने पर सब कुछ गिर जाता है । गोवर्धन पर्वत धारण करने तथा ब्रज वासियों को गोवर्धन पर्वत की पूजा करवाने के पीछे भगवान का एक पवित्र संकल्प यह था की प्रकृति की पूजा और संरक्षण सभी संसार के लोगों को करना चाहिए क्योंकि जब तक धरती में हरियाली रहेगी तभी तक ही मानव और उनकी भविष्य पर ही इस धरती पर रह सकती है। इस कथा के भाव को सामाजिक प्रेरणा की दृष्टि से आचार्य राजेंद्र जी महाराज ने आग्रह किया कि हम सभी को भी प्रकृति की रक्षा और संरक्षण करते हुए धरती में हरियाली बढ़ाने हेतु अपने तथा अपने परिवार के जन्मदिन मनाते हुए उनके हाथों से एक वृक्षारोपण अवश्य ही करते हुए धरती को हरी-भरी बनाने में हम अपना योगदान दे सकते हैं ।
जब तक धरती में गौ माता , गंगा मैया , गायत्री मंत्र , और गौरी अर्थात हमारी बेटियां { कन्या } सुरक्षित रहेंगे तब तक ही मनुष्य जीवन भी सुरक्षित रहेगा l आचार्य ने यह भी बताया की किसी भक्त और भगवान के बीच यदि कोई दीवार है तो वह है अहंकार । ब्रज की गोपियां श्री कृष्ण से अद्भुत अविरल और नित्य प्रेम करते हुए थोड़े से छाछ और माखन का लालच देकर भगवान को नचा देते थे , भगवान को प्रेम के डोर से ही भक्त बांध सकता है उन्हें अलौकिक डोरी से बांधना संभव नहीं है l महारास लीला करते समय जब गोपियों को अपनी दिव्यता और सुंदरता का अहंकार हो गया तो भगवान रास स्थल से अदृश्य हो गए थे । गोपियों के द्वारा अहंकार का परित्याग कर भगवान से क्षमा मांगने के बाद ही फिर से उन्हें श्री कृष्ण के दर्शन प्राप्त हुए बिरला में आयोजित संगीत में श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण लाभ तथा जीवंत झांकियों के दर्शन के साथ मधुर संकीर्तन एवं सत्संग का लाभ प्रतिदिन सैकड़ों श्रोताओं को प्राप्त हो रहा है । पंचम दिवस की कथा में दिल हरण कश्यप , गुहा राम केवट , रेवती रमण सिंह , गिरिजा प्रसाद दुबे , नीलांबर सिंह , शिव कुमार देवांगन । मनोज कुमार तिवारी, जितेंद्र कुमार तिवारी , चित्रभानु पांडे , प्रदुम हीरा पटेल , मनीराम पार्वती साहू , रामेश्वर रुकमणी साहू , प्रकाश रेखा साहू , शिव शंकर चंद्र कली देवांगन , खेम कविता देवांगन आदि अनेक श्रोता उपस्थित थे । भागवत कथा में उपाचार्य शिवा दुबे एवं प्रभात शर्मा द्वारा वेद मंत्रोच्चार के साथ वेदी पूजन एवं अभिषेक तथा संगीत आचार्य संतोष कुमार एवं साथियों के द्वारा मधुर संकीर्तन श्रवण कराया जा रहा है । भागवत कथा के आयोजक लक्ष्मी देवी घनश्याम कश्यप , उमेश प्रेमलता , रूपेश कुमार मंजू लता एवं कश्यप परिवार द्वारा अधिक से अधिक संख्या में कथा श्रवण करने आग्रह किया गया है ।

WhatsApp Image 2025 10 01 at 21.40.40 Console Corptech

Related Articles