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कांग्रेस का प्रशिक्षण शिविर बना प्रत्याशी चयन शिविर, सफेद रंग के कपड़े से ढंकी 16 कुर्सियों में बैठे टिकट के दावेदार, कांग्रेस की शुरू हुई नई परिपाटी…

जांजगीर-चांपा। जिला मुख्यालय जांजगीर में आयोजित कांग्रेस का प्रशिक्षण शिविर महज प्रत्याशी चयन शिविर बनकर रह गया। सूत्रों की मानें तो शिविर में बकायदा सफेद रंग के कपड़े से ढंकी 16 कुर्सियां रखी गई थी, जिसमें बैठकर दावेदारों की सूची में अपना नाम शुमार कराने के लिए दस हजार रुपए बतौर शुल्क निर्धारित किया गया था। हालांकि कांग्रेस इसे कार्यक्रम के लिए स्वेच्छा से दिया गया सहयोग बता रही है। ऐनचुनाव से पहले सत्तासीन कांग्रेस की इस नई परीपाटी का कार्यकर्ताओं पर बुरा असर पड़ सकता है। शिविर से जिम्मेदारी वाले कई कार्यकर्ता नदारद भी रहे।  

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विधानसभा चुनाव के लिए बिगुल बज गया है। कांग्रेस, भाजपा, बसपा सहित अन्य दल ने तैयारी शुरू कर दी है। कांग्रेस ने जांजगीर के शारदा मंगलम में एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया, जिसके जरिए बूथ, सेक्टर, जोन के कार्यकर्ताओं में ऊर्जा भरने का प्रयास किया गया। शिविर में बाहर से आए प्रशिक्षकों ने संगठन की मजबूती, भाजपा के देश तोड़ो विचारधारा के खिलाफ अभियान, भूपेश बघेल सरकार के काम एवं सोशल मीडिया मैनेजमेंट के संबंध में प्रशिक्षण दिया। सूत्रों के मुताबिक, जांजगीर चांपा विधानसभा के लिए दावेदारों की लंबी सूची देखकर जिला प्रभारी ने भी दिल खोलकर उन्हें सामने आने न्योता दिया। प्रशिक्षण हॉल में जांजगीर चांपा के दावेदारों के लिए बकायदा सफेद रंग के कपड़े से ढंकी 16 कुर्सियां लगाई गई थी, जिसमें बैठने के लिए 10 हजार रुपए दर तय किया गया था।

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कहा जा रहा है 16 कांग्रेसजनों ने बकायदा दस-दस हजार रुपए देकर सफेद कपड़े से ढंकी कुर्सियों में बैठकर दावेदार होने का ऐलान किया। हालांकि इसे कांग्रेस कार्यक्रम के लिए स्वेच्छा से दिया गया सहयोग बता रही है। लेकिन कार्यकर्ताओ को यह बात हजम नहीं हो रही है। क्योंकि जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और कार्यकर्ता कांग्रेस को जिताने के लिए तैयार हैं, तब ऐसे में उम्मीदवारों की लंबी सूची बढ़ाकर कांग्रेस को नफा के बजाय नुकसान ही हो सकता है। क्योंकि टिकट तो किसी एक को ही मिलनी है, तब ऐसी स्थिति में बाकी दावेदारों का क्या होगा? बताया जा रहा है प्रशिक्षण शिविर को लेकर जारी सूचना में विभाग प्रकोष्ठ, अनुषांगिक संगठन का उल्लेख नहीं होने से पिछड़ा वर्ग विभाग विभाग के कई पदाधिकारियों ने इस पर आपत्ति भी दर्ज की, जिसके लिए जिलाध्यक्ष ने सबका कार्यक्रम कहते हुए विवाद को शांत कराया। शिविर से जोन, सेक्टर, बूथ के जिम्मेदारी जिन जिन लोगों को दी गई है, उनमें से कई लोगों के नदारद रहने की भी बात कही जा रही है। इसके लिए प्रशिक्षक को भी कहना पड़ गया कि, ऐसे में भला चुनाव कैसे जीत पाएंगे? इससे एक कमजोरी भी सामने आ गई कि क्या घर बैठकर जोन सेक्टर और बूथ के पदाधिकारियों का चयन कर लिया गया है। पहले ही डीसीसी के चयन में भी कार्यकर्ताओं में असंतोष देखने को मिला था। इस तरह संगठन में कई तरह की खामियां लगातार सामने आने से भी कई सवाल उठने लगा है।

जिले की तीनों सीटों में कांग्रेस को चुनौती
जिले के जांजगीर चांपा, पामगढ़ और अकलतरा में फतह करना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है। कांग्रेसविहीन इन तीनों विधानसभा में से जांजगीर-चांपा व अकलतरा में भाजपा और पामगढ़ सीट में बसपा आसीन है। ऐसे में कांग्रेस पार्टी के लिए बहुत बड़ी चुनौती है कि तीनों सीटों में कांग्रेस को जीत कैसे दिलाई जाए। पिछड़ा वर्ग बाहुल्य विधानसभा होने के साथ एससी के मतदाता यहां निर्णायक की भूमिका निभाते आए है।

कुछ लोग कर रहे हैं दुष्प्रचार
इस पूरे मामले में कांग्रेस के प्रवक्ता नागेन्द्र गुप्ता का कहना है कि कुछ लोग दुष्प्रचार कर रहे हैं। किसी भी कार्यक्रम के आयोजन में खर्च लगते हैं, जिसकी पूर्ति किसी न किसी माध्यम से होनी है। टिकट के दावेदारों ने स्वेच्छा से यह खर्च वहन करने हामी भरी। दावेदारों की सूची में शामिल होने के लिए निर्धारत दस हजार शुल्क की खबरें पूरी तरह निराधार है।

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