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भारत बंद, चांपा में बंद रहा बेअसर …

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जांजगीर-चांपा। 21 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया गया था। यह आह्वान सुप्रीम कोर्ट की ओर से एससी और एसटी श्रेणी में सब-कैटेगरी को लेकर सुनाए गए फैसले के विरोध में किया गया है। लेकिन भारत बंद चांपा में बेअसर साबित हुआ सभी लोगों ने अपने प्रतिष्ठान खुले रखे है। इसका मुख्य कारण प्रदेश के बड़े व्यापारिक संगठन छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने इसे अपना समर्थन नहीं दिया है। व्यापारियों ने अपनी दुकानें बंद करने से इंकार कर दिया है। ऐसे में मार्केट खुला रहा। दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ बहुजन समाज पार्टी इस बंद का समर्थन कर रही है। हर जिला अध्यक्ष को मार्केट बंद करवाने की जिम्मेदारी संगठन ने ली है।

समर्थन देने से चैंबर ने किया इनकार – बंद का समर्थन कर रहे संगठनों से आए पदाधिकारियों ने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के जारी आरक्षण वर्गीकरण के आदेश के विरोध में ‘भारत बंद’ के लिए समर्थन मांगने पहुंचे हैं। चैंबर प्रदेश अयक्ष अमर पारवानी ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर इस भारत बंद को लेकर जानकारी हमें नहीं मिली है। बिना पूर्व सूचना के अचानक बंद को समर्थन देने से चैंबर ने इनकार कर दिया।

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क्यों हो रही भारत बंद की बात – अनुसूचित जाति और जनजाति आरक्षण में सब कैटेगरी पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ देश भर के विभिन्न संगठनों ने 21 अगस्त को ‘भारत बंद’ का आह्वान किया है। बसपा समेत कई पार्टियां इस बंद का समर्थन कर रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर को लेकर फैसला सुनाते हुए कहा था, ‘सभी एससी और एसटी जातियां और जनजातियां एक समान वर्ग नहीं हैं। कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए- सीवर की सफाई और बुनकर का काम करने वाले। ये दोनों जातियां एससी में आती हैं, लेकिन इस जाति के लोग बाकियों से अधिक पिछड़े रहते हैं। इन लोगों के उत्थान के लिए राज्‍य सरकारें एससी-एसटी आरक्षण का वर्गीकरण (सब-क्लासिफिकेशन) कर अलग से कोटा निर्धारित कर सकती है। ऐसा करना संविधान के आर्टिकल-341 के खिलाफ नहीं है।बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला उन याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुनाया था, जिनमें कहा गया था कि एससी और एसटी के आरक्षण का फायदा उनमें शामिल कुछ ही जातियों को मिला है। इससे कई जातियां पीछे रह गई हैं। उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए कोटे में कोटा होना चाहिए। इस दलील के आड़े 2004 का फैसला आ रहा था, जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियों का वर्गीकरण कर सकते हैं।

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