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पत्रकारवार्ता: भाजपा सरकार में गाइडलाइन की मार,गरीब पर कर्ज, किसान पर संकट और युवाओं पर बेरोजगारी की मार – जिलाध्यक्ष राजेश अग्रवाल…

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जांजगीर-चांपा।  प्रदेश में जमीनों की गाइडलाइन दरों में 10 से 100 प्रतिशत तक बढ़ोतरी को लेकर कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर बड़ा हमला बोला है। कांग्रेस ने इसे “अदूरदर्शी, अव्यावहारिक और आम जनता के खिलाफ लिया गया फैसला” बताया है।
आज के पत्रकार वार्ता में नव नियुक्त जिलाध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने कहा कि भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद भूमि की सरकारी दरें 40 से 130 प्रतिशत तक बढ़ा दी गई हैं। जबकि पूरे देश में कहीं भी गाइडलाइन दरों में इतनी भारी बढ़ोतरी नहीं की गई। मुंबई, दिल्ली, पुणे और हैदराबाद जैसे महानगरों में भी एक बार में अधिकतम 10 से 15 प्रतिशत बढ़ोतरी की परंपरा रही है।

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“घर–दुकान–फैक्ट्री बनाना महंगा, जमीनों की खरीदी-बिक्री ठप होने की कगार पर”- कांग्रेस ने आरोप लगाया कि गाइडलाइन रेट बढ़ने से आम लोगों के लिए पहला घर बनाना, दुकान खोलना या उद्योग शुरू करना बेहद महंगा हो जाएगा। भूमि की खरीदी-बिक्री कम हो जाएगी, जिससे निर्माण क्षेत्र में रोजगार पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।

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जिलाध्यक्ष ने कहा— “जब सरकार ने पहले ही कांग्रेस सरकार द्वारा दी जा रही 30 प्रतिशत छूट समाप्त कर दी थी, उसके बाद अब नई बढ़ोतरी से जमीनों की सरकारी कीमतें और बोझ दोगुना हो गया है।”

नई व्यवस्था पर तीखा विरोध: “किसानों की जमीनें बिकना बंद हो जाएंगी” – कांग्रेस ने हाल ही में लागू हुए निवेश क्षेत्र में कृषि भूमि की नई रजिस्ट्री प्रणाली को किसान-विरोधी बताया। नई व्यवस्था के अनुसार शुरुआत के 15 हजार वर्गफीट पर वर्गफीट के हिसाब से और उसके बाद बची जमीन पर हेक्टेयर के हिसाब से स्टांप ड्यूटी वसूली जाएगी।कांग्रेस ने कहा कि इससे राजधानी समेत प्रमुख शहरों के आसपास कृषि भूमि खरीदना बेहद महंगा हो जाएगा और किसानों को अपनी जमीन बेचने का विकल्प ही लगभग बंद हो जाएगा।

“22 लाख की स्टांप ड्यूटी 30 लाख की जमीन पर—यह कैसा तुगलकी फैसला?” कांग्रेस ने उदाहरण देते हुए कहा कि प्रदेश के कई इलाकों में ऐसा भी हो रहा है कि— 30 लाख की जमीन पर 22 लाख तक स्टांप ड्यूटी देनी पड़ रही है – 6 लाख की जमीन खरीदने पर 4.40 लाख रजिस्ट्री शुल्क लग रहा है – कई क्षेत्रों में जमीन की कीमत और रजिस्ट्री शुल्क बराबर या कुछ मामलों में शुल्क ज्यादा हो गया है।कांग्रेस का कहना है कि ऐसे हालात में गरीब और मध्यम वर्गीय परिवार अपना घर कैसे बनाएंगे? उन्हें जमीन खरीदने के बाद रजिस्ट्री कराने के लिए भी कर्ज लेना पड़ेगा।

5 डिसमिल से कम जमीन की रजिस्ट्री पर प्रतिबंध—गरीबों की मुसीबत और बढ़ी – कांग्रेस ने कहा कि सरकार पहले ही 5 डिसमिल से कम जमीन की रजिस्ट्री पर रोक लगा चुकी है, जिससे जिनके पास छोटी जमीन है, वे उसका हिस्सा बेच नहीं पा रहे। इससे गरीबों का मकान बनना और मुश्किल हो गया है।

रियल एस्टेट सेक्टर की कमर टूट जाएगी – कांग्रेस ने चेतावनी दी कि कृषि के बाद सबसे अधिक रोजगार देने वाला रियल एस्टेट सेक्टर सरकार के इन फैसलों से चौपट हो जाएगा। कांग्रेस सरकार के समय 5 डिसमिल की रजिस्ट्री बहाल करने और गाइडलाइन में 30 प्रतिशत छूट देने से रियल एस्टेट में तेजी आई थी।
इसी वजह से कोरोना काल में भी छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी थी,” कांग्रेस ने दावा किया।

सरकार का आर्थिक प्रबंधन फेल, योजनाओं के लिए पैसा नहीं—इसलिए टैक्स और दरें बढ़ा रही है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार की आर्थिक स्थिति कमजोर है और योजनाओं को चलाने के लिए राजस्व जुटाने के दबाव में लगातार टैक्स बढ़ाए जा रहे हैं।
बिजली के दाम बढ़ाए गए। 400 यूनिट की छूट समाप्त की गई। अब जमीन की रजिस्ट्री और गाइडलाइन दरें बढ़ाकर जनता पर बोझ डाला जा रहा है।

जनता, किसान, मजदूर और छोटे व्यवसायी,सब परेशान” – कांग्रेस ने सरकार से निर्णय वापस लेने और जनता को राहत देने की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि यह फैसला लागू रहा तो बेरोजगारी बढ़ेगी, आर्थिक मंदी आएगी और रियल एस्टेट क्षेत्र पूरी तरह ठप हो जाएगा।

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