

जांजगीर-चांपा। सर्दियों का मौसम शुरू होते ही बवासीर, एनल फिशर, फिस्टुला और गुदा से जुड़ी अन्य बीमारियों के मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि देखने को मिलती है। विशेषज्ञों के अनुसार इसका सबसे बड़ा कारण कब्ज है, जो ठंड के मौसम में आम समस्या बन जाती है।

एनो-रेक्टल सर्जन डॉ. शुभम गुप्ता (एम.एस. जनरल सर्जरी) ने बताया कि सर्दियों में प्यास कम लगने से लोग पानी कम पीते हैं। इसके साथ ही शारीरिक गतिविधि घट जाती है और भोजन में फाइबर की मात्रा भी कम हो जाती है। इन कारणों से मल कठोर हो जाता है और शौच के समय अधिक जोर लगाना पड़ता है, जिससे गुदा क्षेत्र में चोट लगने लगती है और बवासीर, फिशर जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि यदि शौच के समय या बाद में खून आना, तेज दर्द, जलन, खुजली, सूजन या मस्सों का बाहर आना जैसे लक्षण दिखाई दें तो इन्हें सामान्य न समझें। गुदा से खून आना किसी गंभीर बीमारी का संकेत भी हो सकता है, इसलिए समय रहते जांच कराना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अक्सर लोग शर्म या डर के कारण डॉक्टर से सलाह लेने में देर कर देते हैं, जिससे बीमारी बढ़ जाती है और इलाज जटिल हो जाता है।
सर्दियों में गुदा रोगों से बचाव के लिए उन्होंने दिन में पर्याप्त मात्रा में गुनगुना पानी पीने, भोजन में हरी सब्ज़ियाँ, फल और फाइबर शामिल करने, शौच के समय ज़ोर न लगाने तथा नियमित रूप से टहलने या हल्का व्यायाम करने की सलाह दी। गुदा में दर्द या जलन होने पर गुनगुने पानी से Sitz Bath करना भी लाभकारी बताया।
डॉ. शुभम गुप्ता ने यह भी चेतावनी दी कि बिना डॉक्टर की सलाह के दवाइयाँ या क्रीम लगाना नुकसानदायक हो सकता है। उन्होंने बताया कि आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में लेज़र तकनीक द्वारा बवासीर, फिशर और फिस्टुला जैसी बीमारियों का सुरक्षित, कम दर्द वाला और जल्दी ठीक होने वाला इलाज उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि गुदा रोग आम हैं, लेकिन इन्हें छुपाना नहीं चाहिए। समय पर जांच और सही इलाज से मरीज पूरी तरह सामान्य जीवन जी सकता है। शर्म नहीं, स्वास्थ्य ज़रूरी है।





