🔴 सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह राजपूत का फैसला …
जांजगीर-चांपा। पीडि़ता के गर्भवती होने पर उसकी सहमति के बिना गर्भपात कराकर उससे दूरी बनाकर प्रताडि़त करने वाले आरोपी को सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह राजपूत ने 5 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई है साथ ही 2 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया।
अभियोजन के अनुसार पीडि़ता 13 मई 2020 को जन्मदिन था। दोपहर 2 बजे जन्मदिन मनाई। करीब 5 बजे अपनी सहेलियों के साथ केक काटना है कहकर फूफा के साथ गांव चली गई। लगभग 7 से 8 बजे रात मृतिका के पिता को पता चला कि पीडि़ता कही चली गई। इसके बाद मालखरौदा के डायल 112 से उसे सूचना मिली की पीडि़ता अजीब हरकत कर रही है। तब वह वहां से कुछ लोगों के साथ पिरदा गए और वहां देखे के गांव के बाहर तालाब के पास पीडि़ता अर्धविक्षिप्त अवस्था में मिली। इलाज के लिए जैजैपुर ले गए। जहां से डॉक्टरों ने स्थिति देखते हुए रेफर किया गया। जिला अस्पताल पहुंचते समय रास्ते में नंदेली चौक के पास मौत हो गई। पीडि़ता अपने हाथ की हथेली में ब्लेड से उमाशंकर लिखा था तथा कलाई से लेकर कोहनी तक मेहंदी से मेरे पति देव उमाशंकर व दो मोबाइल नंबर लिखा था। मृतिका के पर्स से एक पत्र मिला था। जिसे पढऩे पर आरोपी उमाशंकर मृतिका को शादी को झांसा देकर उसका दैहिक शोषण कर रहा था। दो तीन बार अबार्शन भी करा चुका था। बाद में आरोपी उसे अपनाने से इंकार कर दिया। इससे मृतिका आत्महत्या कर ली। जैजैपुर थाना में अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। संपूर्ण विवेचना के बाद अभियोग पत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। जिस पर सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह राजपूत ने मालखरौदा थाना के गांव पिरदा निवासी उमाशंकर उर्फ पिंटू जायसवाल पिता संतोष जायसवाल (23) को धारा 313 के तहत 5 साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई साथ ही 2 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया। अर्थदंड की राशि नहीं पटाने पर दो माह के अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतने का आदेश दिया गया। अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक (एक्ट्रोसिटी) धीरज कुमार शुक्ला ने पैरवी की।