रक्तदान से बच सकती है किसी की जिंदगी, रक्तदान से मुझे मिलती है आत्मिक संतुष्टि: आरक्षक जयप्रकाश…

जांजगीर चांपा। रक्तदान से बड़ा कोई दान नहीं है , क्योंकि रक्त से किसी जरूरतमंद का जीवन बचाया जा सकता है। रक्तदान करने से हमे जहां हार्टअटैक जैसी बीमारियों का खतरा कम होता है , वहीं दूसरों को रक्त देकर उनका जीवन भी बचाया जा सकता है। लोगों पर आये संकट की घड़ी में सही समय पर नि: स्वार्थ भावना से रक्तदान करना भी एक प्रकार से देश सेवा ही है। इसलिये ज्यादा से ज्यादा लोग स्वेच्छा से रक्तदान कर जरुरतमंद लोगों की मदद करें।
ये बातें जिला पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पदस्थ आरक्षक जयप्रकाश राठौर ने चर्चा करते हुए कहीं। उन्होंने बताया कि रक्तदान करने से मेरे मन में एक अलग सी सन्तुष्टि मिलती है और मेरे अंदर एक नये ऊर्जा का संचार होता है। उन्होंने आगे बताया कि सोशल मीडिया के माध्यम से किसी भी व्यक्ति को रक्तदान की आवश्यकता की जानकारी प्राप्त होने पर मेरे द्वारा रक्तदान किया जाता है। अब तक मेरे द्वारा जिला अस्पताल जांजगीर चांपा , अपोलो अस्पताल बिलासपुर , रामकृष्ण केयर रायपुर , महारानी अस्पताल जगदलपुर में बीस बार रक्तदान किया गया है। इसके अलावा भी उन्होंने इस बात पर विशेष जोर देते हुये कहा कि इसी तरह से मैं आजीवन जरूरतमंदों के लिये रक्तदान करता रहूंगा। रक्तदान करने से आने वाली मनगढंत भ्रांतियों के बारे में स्पष्ट करते हुये उन्होंने दावे के साथ कहा कि रक्तदान करने से हमारे शरीर में कभी भी कोई कमजोरी नही आती , बल्कि शरीर में नये रक्त का संचार होने से शरीर में आने वाली बीमारियों की सभावनायें कम होती हैं। उन्होंने कहा कि हमें यह समझने की जरुरत है कि रक्त हमारे स्वास्थ्य के लिये कितना महत्वपूर्ण है। जब व्यक्ति इस बात को समझ जाता है तो वह एक नहीं अनेकों बार रक्तदान करता है। इसका फायदा गिनाते हुये जयप्रकाश ने बताया कि रक्तदान का जितना फायदा जरुरतमंद को होता है। उससे कहीं ज्यादा लाभ रक्तदान करने वाले व्यक्ति को भी मिलता है। अत: हमें समय – समय पर रक्तदान करते रहना चाहिये।गौरतलब है कि जयप्रकाश राठौर पिता विजय कुमार राठौर (36 वर्षीय) मूलत: जांजगीर चांपा जिले के ही नवागढ़ थाना अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत सिऊंड़ (भैंसमुड़ी) के निवासी हैं। इन्होंने अपनी शिक्षा पूरी कर देश सेवा के लिये पुलिस का नौकरी चुना और वर्ष 2008 में भर्ती हुये। अपनी पुलिस की जिम्मेदारियों को बखूबी से निभाते हुये एक ओर जहां समाज में फैले विभिन्न भ्रांतियों के कारण आज भी युवा पीढ़ी रक्तदान से कतराती है। ऐसे माहौल में ये बरसों से स्वयं के खर्च पर अस्पताल पहुंचकर नि:स्वार्थ भाव से बेसहारों के लिये सहारा बनते हुये जरूरतमंदों को निर्बाध गति से रक्त देकर मिशाल कायम कर रहे हैं। तीन बहनों में इकलौते भाई होने कारण पारिवारिक दायित्वों के साथ – साथ अपनी नौकरी पर भी सामंजस्य निभाना इनको बखूबी से आता है। वरिष्ठ पत्रकारों के बीच मिलनसार और मृदुभाषी होने के चलते जेपी के नाम से जान पहचान बनाने वाले जयप्रकाश फिलहाल पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पदस्थ होकर पुलिस मीडिया ग्रुप के माध्यम से जिले भर में पुलिस द्वारा किये जा रहे कार्यवाहियों को सारगर्भित शब्दों में और पुख्ता प्रमाण के साथ पत्रकारों तक सही समय में पहुंचाने में इनकी अहम भूमिका रहती है।