छत्तीसगढ़जांजगीर चांपा

शिव के रौद्र स्वरूप है बाबा कालभैरव जयंती पर विशेष – पं द्विवेदी…

जांजगीर-चांपा। जहाँ बटुक भैरव अपने भक्तों को अभय देने वाले सौम्य स्वरूप में विख्यात हैं वहीं काल भैरव आपराधिक प्रवृत्तियों पर नियंत्रण करने वाले प्रचण्ड दंडनायक के रूप में प्रसिद्ध हुए। वहीं काल भैरव को भैरवनाथ का युवा रूप तो बटुक भैरव को भैरवनाथ का बाल रूप कहा गया है।

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पं अतुल द्विवेदी के अनुसार कालभैरव आप के सभी कस्ट का नाश करते है आज मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष अष्टमी कालभैरव जंयती के रूप में मनाई जाती है। हिंदू शास्त्रों के अनुसार, काल भैरव को भगवान शिव का रौद्र रूप माना जाता है। इसलिए इनकी जयंती के दिन विधिवत पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में खुशियां ही खुशियां बनी रहती हैं। इसके साथ ही हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। माना जाता है कि अगर जातक के ऊपर काल भैरव जी प्रसन्न हो जाएंगे, तो वह नकारात्मक शक्तियों के अलावा ऊपर बाधा और भूत-प्रेत की जैसी समस्याएं नहीं होती है।
काल भैरव प्रकट कैसे हुवे – कालभैरव जयंती का दिन काल भैरव के साथ भगवान शिव की आराधना करने का विशेष महत्व है।पं द्विवेदी के अनुसार जब भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश में इस बात में बहस छिड़ गई थी कि सबसे श्रेष्ठ कौन है, तो ऐसे में ब्रह्मा जी ने भगवान शिव को कुछ अपशब्द कह दिए थे, जिससे वह अधिक क्रोधित हो गए है। इके बाद भगवान शिव के माथे से भैरव प्रकट हुए। उनका रौद्र रूप देखकर हर कोई डर गया और इसी समय उन्होंने भगवान ब्रह्मा का एक सिर काट दिया, जिससे उनके चार सिर हो गए। इसके बाद सभी देवी-देवताओं ने उन्हें शांत किया और वह पुन: शिव जी के स्वरूप में वापस आ गए। लेकिन उन्होंने ब्रह्म हत्या कर दी थी। ऐसे में उन्होंने इस पाप से मुक्ति पाने के लिए काशी की शरण ली और वहीं पर रहकर पापों से मुक्ति पाई।
भगवान का भोग- बाबा को इमारती,जलेबी,मदिरा,एवम मीठे भजिये का भोग प्रिय है कहा जाता है जिस किसी के कुंडली मे राहु की महादशा अन्तर्दशा चल रही उनको बाबा कालभैरव की विशेष पूजा करनी चाहिए

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