चांपा। शारदीय नवरात्रि की महाष्टमी में हवन के साथ हुवा समापन। वर्ष में एक बार शारदीय नवरात्रि के नवमी तिथि पर चाँपा नगर की आराध्या माँ समलेश्वरी अपने भक्तों का हाल जानने उन्हें प्रत्यक्ष दर्शन देने आज नगर भ्रमण पर निकलेंगी।
पंडित अतुल द्विवेदी के अनुसार चाँपा ज़मींदारी की कुल देवी एवं नगर की अधिष्ठात्री माँ समलेश्वरी वर्ष में एक बार शारदीय नवरात्रि की नवमी तिथि पर नगर का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलती है।सदियो पुरानी परंपरा के अनुसार नगर में नवमी तिथि पर ज्वारा विसर्जन का कार्यक्रम आयोजित होता है जिसमें नौ दिन तक जो ज्योति कलश ज्वारा के साथ प्रज्वलित की जाती है। उसका विसर्जनन रामबांधा तालाब में किया जाता है। सर्वप्रथम महाष्टमी के दिन हवन के साथ माँ भगवती को नगर भ्रमण की अनुमति ली जाती है फिर नवमी तिथि पर सायं सभी भक्त अपने मनोकामना लेकर भगवती के मंदिर से लोट मारते हुवे तालाब तक आते है। उनके पीछे माँ मान्यता अनुसार माँ समलेश्वरी अपने चरण पादुका के साथ जिसको पाठ पीड़ा कहा जाता है जो प्रत्येक वर्ष एक कुँवारी कन्या द्वारा अपने सर पर रख कर चलती है उनके पीछे 301 सुहागन महिलायें अपने मस्तक पर कलश लेकर विसर्जन के लिये जाती है। पंडित द्विवेदी के अनुसार प्रत्येक वर्ष में एक बार इसी दिन माँ जगदंबा अपने नगर अपने भक्तों की हाल जानने उनको प्रत्यक्ष दर्शन देने निकलती है।जगह जगह माँ के स्वागत के लिये भक्त दर्शन लाभ पाते है माँ जगदंबा इसी दिन अपने भक्तों की सभी मनोकामनायें पूरी करती है।