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हटरीबाजार में समस्याओं का अंबार, साफ-सफाई और बेजाकब्जा पर नपा सीएमओ की चुप्पी …

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चांपा। शहर का एकमात्र व्यस्थित हटरी बाजार को भी सहेज पाने में नगरपालिका सीएमओ नाकाम है। यहां पार्किंग, साफ सफाई, बेजाकब्जा सहित समस्याओं का अंबार है। इसके समाधान के लिए लोगों ने कई बार नगरपालिका में आवेदन दिया है, लेकिन उनकी समस्या को सीएमओ काफी हल्के में लेते हुए ध्यान नहीं दे रहे हैं। मसलन, लोगों की समस्या जस की तस बनी हुई है।शहर का एकमात्र हटरी बाजार अव्यवस्था का शिकार है। इस हटरी बाजार में हरी सब्जी, किराना, सौंदर्य प्रसाधन, कपड़े, बर्तन सहित जरूरत के सभी सामानों की दुकान है लेकिन यह काफी अव्यवस्थित है।

नगरपालिका ने यहां कुछ चबूतरा का निर्माण कराया है, लेकिन उन चबूतरों में चंद गिने चुने स्थानीय लोगों का कब्जा है। अन्य लोग सड़क पर फैलाकर दुकान लगाने मजबूर हैं। यहां नाली और बाजार की भी नियमित सफाई नहीं होती। इस बाजार से शहर की आधी आबादी की हरी सब्जी सहित विभिन्न समानों की आपूर्ति होती है, लेकिन नगरपालिका सीएमओ की लापरवाही से यहां समस्याओं का अंबार है। सुलभ शौचालय सहित बाजार की नियमित सफाई के लिए वार्ड पार्षद गोविंद देवांगन ने लगातार नगरपालिका सीएमओ से पत्रकाचार किया, लेकिन उनकी बातों को अनसुना कर दिया गया। जब इस समस्या की खबर मीडिया में आई, तब आनन फानन में सुलभ शौचालय की सफाई कराकर इतिश्री कर ली गई। जबकि यहां समस्याओं का सम्राज्य है। हटरी बाजार छोटा होने के कारण शहर के बेरियर चौक व परशुराम चौक के पास फूटपाथ पर सब्जी भाजी का बाजार लगता है, जिससे आवागमन काफी प्रभावित होता है। इन समस्याओं को दूर करने के लिए कांग्रेस के शासनकाल में गौरवपथ मार्ग के किनारे लाखों रुपए की लागत से व्यवस्थित बाजार के लिए छतदार चबूतरा बनाया गया है, लेकिन ये दुकानें अब तक सड़क में बाजार लगाने वालों को नसीब नहीं हो सका है। इस संबंध में सीएमओ से बात करने पर वो पौनी पसारी की सभी दुकानें आवंटित होने का हवाला देते हैं, जबकि मौके पर पौनी पसारी की दुकानें वीरान है और इसका उपयोग असमाजिक तत्व कर रहे हैं। तो वहीं लोगों को सड़क में बाजार लगने से उत्पन्न यातायात की समस्या से मुक्ति नहीं मिल पा रही है।

फल दुकानदारों को नहीं मिला ठिकाना – रेलवे स्टेशन के सामने लाइन से फलों की दुकानें थी, लेकिन वो सभी दुकानों की भूमि रेलवे की थी। इसलिए रेलवे ने बेजाकब्जा हटाकर उनकी रोजी रोटी छीन ली। इस दौरान इन सभी दुकानदारों ने नगरपालिका से सहयोग मांगा था। तब उन्हें पौनी पसारी योजना के तहत स्वीकृत इन दुकानों में व्यवस्थित करने का दावा किया गया था, लेकिन महीनों से ये दुकानें बनकर केवल शोभा की वस्तु बनी हुई है। वर्तमान में उक्त सभी फलवाले शहर में इधर-उधर दुकान लगाकर जीवकोपार्जन करने मजबूर हैं।

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