चांपा में बीते दस सालों से मजबूती के साथ विपक्ष की भूमिका निभा पाने में नाकाम रही है भाजपा …

चांपा। नगरीय निकाय चुनाव से पहले भाजपा संगठन चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जिले की चांपा नगरपालिका को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। यहां पिछले दो कार्यकाल से कांग्रेस का दबदबा रहा है तो वहीं इस बार प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के कारण चांपा नपा में अध्यक्ष के साथ पार्षदों की बहुमत हासिल करना भाजपा के लिए बेहद जरूरी हो गया है। वहीं कांग्रेस इस बार हैट्रिक लगाने के फिराक में है। इस बार नगरपालिका में अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष विधि से होना है। वहीं इस बीच बीजेपी संगठन चुनाव भी होना है, जिसकी तैयारी जोर शोर से चल रही है। यहां भाजपा मंडल अध्यक्ष चुनाव भी अध्यक्ष की कुर्सी को काफी हद तक प्रभावित कर सकता है।
चांपा शहर की बात करें तो यहां नगरपालिका में पिछले दो कार्यकाल से भाजपा विपक्ष में रही है तो वहीं अध्यक्ष सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार ही आसीन होते आए है। शहर में साफ सफाई, निर्माण कार्यों की गुणवत्ता, तालाबों का कायाकल्प, अव्यस्थित बाजार, पानी, बिजली आदि ज्वलंत समस्याएं हैं, लेकिन भाजपा यहां विपक्ष की भूमिका सक्रिय ढंग से निभा पाने में नाकाम रही है। यही वजह है कि नगरपालिका में जनता की विभिन्न समस्याएं विद्यमान रही है और भाजपा मजबूती से विपक्ष की भूमिका निभाने के बजाय महज मुकदर्शक बनकर तमाशा देखते आई है। वर्तमान कार्यकाल की बात की जाए तो एकात को छोड़कर भाजपा कभी भी विपक्ष की भूमिका निभाते हुए जनता की समस्या को लेकर सड़क पर उतरते दिखाई नहीं दी। पिछले एक दशक से भाजपा पर यहां आरोप लगता रहा है कि पक्ष के खिलाफ मजबूती से खड़े होने के बजाय हम साथ-साथ है की भूमिका बखूबी निभाते रही है। इसके चलते इस बार भाजपा मंडल अध्यक्ष में ऐसे उम्मीदवार की दरकार की जा रही है जो सरकार बनाने की स्थिति में जनता के हित में सदैव काम करते रहे और चुनाव के बाद यदि फिर से विपक्ष की भूमिका निभानी पड़ी तो इन गुजरे हुए दस सालों का इतिहास न दोहराया जाए। बहरहाल, भाजपा ने इस बार मंडल अध्यक्ष के लिए अधिकमतम 45 साल उम्र तय किया है। इससे कहा जा सकता है कि इस बार मंडल अध्यक्ष का दायित्व किसी युवा को मिलेगा। हालांकि युवाओं में जनहित के कार्यों को अंजाम देने का जुनून होता है, लेकिन समय ही बताएगा कि नए मंडल अध्यक्ष जनता की अपेक्षाओं पर कितना खरा उतर पाते हैं।
निष्क्रिय रही विपक्ष की उपस्थिति – चांपा शहर में समस्याओं का अंबार है। शहर के सभी तालाब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं तो वहीं निर्माण कार्यों की गुणवत्ता तार-तार हो रही है। शहर में साफ सफाई का बुरा हाल रहा है। हसदेव नदी नाली के प्रदूषण से कराह रही है। नदी के विभिन्न घाटों का बुरा हाल है। पौनी पसारी योजना के तहत करोड़ों की काम्पलेक्स बनकर तैयार है, फिर सड़कों पर बाजार लग रहा है। इससे शहर की यातायात व्यवस्था प्रभावित हो रही है। विभिन्न वार्डों में लगे खंभों में लाइट महीनों से बंद है। इस तरह की कई समस्याएं विकराल हो गई है, लेकिन इन समस्याओं को लेकर विपक्ष की उपस्थिति पूरे पांच सालों तक नगण्य रही। एकात मामले को छोड़कर लोगों को याद नहीं है कि भाजपा कब जनहित की समस्याओं को लेकर सड़क पर उतारी थी।