नवरात्रि केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आत्मशक्ति और स्वास्थ्य-संरक्षण का अवसर – डॉ. सुभम गुप्ता …


चांपा। माँ दुर्गा के स्वरूप और स्वास्थ्य: एक चिकित्सक की दृष्टि से नवरात्रि केवल एक धार्मिक पर्व ही नहीं, बल्कि आत्मचिंतन, संयम और आत्मशक्ति को जगाने का अवसर भी है। माँ दुर्गा के नौ स्वरूप हमारे जीवन के अलग-अलग पहलुओं को दर्शाते हैं। यदि हम इन्हें स्वास्थ्य और जीवनशैली से जोड़ें, तो ये हमारे लिए उत्तम जीवन-मार्गदर्शक बन सकते हैं।


शैलपुत्री: शक्ति और स्थिरता – जैसे शैलपुत्री पर्वत की तरह अडिग हैं, वैसे ही हमें अपने स्वास्थ्य के लिए अनुशासन और नियमितता को जीवन में शामिल करना चाहिए। रोजाना व्यायाम, योग और सही दिनचर्या हमें मजबूत बनाती है।
ब्रह्मचारिणी: संयम और साधना – यह स्वरूप हमें धैर्य, संयम और अनुशासन का संदेश देता है। खाने में संयम (संतुलित आहार), नींद का नियमित समय और नशों से दूरी स्वास्थ्य की साधना का हिस्सा है।
चंद्रघंटा: शांति और मानसिक स्वास्थ्य उनके मस्तक पर घंटा है, जो मन की शांति का प्रतीक है। मानसिक स्वास्थ्य, तनाव प्रबंधन और ध्यान (meditation) आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में अनिवार्य हैं।
कूष्मांडा: सृजन और ऊर्जा – माँ कूष्मांडा से ही ब्रह्मांड की शुरुआत मानी जाती है। यह स्वरूप हमें सिखाता है कि सकारात्मक सोच और ऊर्जा से हम हर रोग से लड़ सकते हैं। संतुलित आहार और सूर्य की ऊर्जा (Vitamin D) स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं।
स्कंदमाता: मातृत्व और पोषण – यह स्वरूप मातृत्व का प्रतीक है। बच्चों और परिवार के स्वास्थ्य में माँ की भूमिका और पोषण का महत्व सबसे बड़ा है। संतुलित आहार और स्तनपान शिशु के स्वस्थ भविष्य की नींव हैं।
कात्यायनी: साहस और रोग-प्रतिरोधक शक्ति माँ कात्यायनी का स्वरूप हमें साहस देता है। जैसे रोगों से लड़ने के लिए इम्यूनिटी जरूरी है, वैसे ही स्वस्थ जीवनशैली और टीकाकरण रोग-प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाते हैं।
कालरात्रि: नकारात्मकता का नाश यह स्वरूप बुरी शक्तियों का नाश करता है। चिकित्सा विज्ञान की भाषा में, यह हमें रोगों, विषाक्त आदतों (smoking, alcohol, drugs) और अस्वास्थ्यकर जीवनशैली को खत्म करने का संदेश देता है।
महागौरी: पवित्रता और स्वच्छता माँ महागौरी स्वच्छता और पवित्रता का प्रतीक हैं। हाइजीन, हाथ धोना, साफ-सफाई और शुद्ध आहार अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है।
सिद्धिदात्री: पूर्णता और संतुलन यह स्वरूप सिद्धियाँ प्रदान करता है। चिकित्सा की दृष्टि से यह हमें संतुलित जीवन का संदेश देता है—शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य का संतुलन ही जीवन की वास्तविक ‘सिद्धि’ है।
नवरात्रि केवल देवी की आराधना का पर्व नहीं है, बल्कि आत्मशक्ति और स्वास्थ्य-संरक्षण का पर्व भी है। यदि हम माँ दुर्गा के स्वरूपों को अपनी जीवनशैली में अपनाएँ, तो न केवल रोगों से बच सकते हैं बल्कि स्वस्थ, संतुलित और सकारात्मक जीवन भी जी सकते हैं।