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लच्छीबंध तालाब में नाली के पानी से नहा रहे लोग,सीएमओ ने तालाब को साफ-सफाई करने से किया इनकार …

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चांपा। नगरपालिका की मेहरबानी से लच्छीबंध तालाब में लोग नाली के पानी से नहाने मजबूर हैं। हैरत की बात यह है कि नाली का पानी सीधे तालाब में जाकर प्रदूषण फैला रहा है, जिससे लोग चर्म रोग की समस्या से ग्रसित है। जिस जगह नाली का गंदा पानी तालाब में जा रहा है, वहां गंदगी का सम्राज्य स्थापित हो गया है, जो धीरे-धीरे पूरे तालाब के पानी को प्रदूषित कर दिया है। इसके बावजूद नगरपालिका के जिम्मेदारों ने अपनी आंखे मूंद ली है। इससे शहर के लोगों में आक्रोश है। खास बात यह है नगर पालिका सीएमओ इस तालाब को निजी बताकर साफ-सफाई से इनकार कर रहे हैं जबकि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट का स्पष्ट गाइडलाइन है।

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चांपा के राजकिरण दुग्गड़ उद्यान के समाने स्थित लच्छीबंध तालाब विभिन्न मोहल्लों के लोगों के निस्तार का बड़ा स्रोत है, लेकिन नगरपालिका के जिम्मेदार शहर के खासकर प्रमुख तालाबों को भी सहेज पाने में नाकाम है। नगरपालिका की यही लापरवाही के चलते शहर के ज्यादातर तालाब पहले नेस्तानाबुत हो गए है, तो वहीं शेष बच गए तालाबों की ओर भी नगरपालिका का कोई ध्यान नहीं है। मसलन, रामबांधा, लच्छीबंध, मंझली तालाब सहित अन्य तालाब जलकुंभी और गंदगी से अट गए हैं। इन तालाबों का पानी गंदगी की वजह से प्रदूषित हो गया है, जिसमें निस्तार करने से लोगों को चर्म रोग की समस्या है। अभी लच्छीबंध तालाब में नाली का पानी सीधे जाकर मिल रहा है, जिससे समझा जा सकता है कि निस्तारी तालाब में नहाने वालों का क्या हश्र होता होगा। इधर नगर पालिका सीएमओ भोला सिंह ठाकुर का कहना है कि वह तालाब निजी है, जिसके चलते वहां साफ सफाई नहीं की जा सकती। उस तालाब को साफ करने का प्रयास किया गया था, लेकिन उन्हें नोटिस मिल गया। जिसके चलते वहां साफ सफाई नहीं की जा सकती, जबकि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा है किसी भी निस्तार तालाब या जल स्रोत का परिवर्तन नहीं किया जा सकता। साथ ही पर्यावरण संरक्षण की दिशा में तालाब को सहेजने का प्रयास किया जाना चाहिए।

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