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भारतीय संविधान के जनक-भारत रत्न डॉ भीमराव अम्बेडकर – रविन्द्र द्विवेदी …

जांजगीर-चांपा। डॉ अंबेडकर बहुआयामी व्यक्तित्व, विलक्षण प्रतिभा के धनी के साथ-साथ एक महान राष्ट्र चिंतक,समाज सुधारक, आर्थिक विशेषज्ञ, न्याय के पुजारी, शिक्षाविद, महान अर्थशास्त्री, बहुभाषी वक्ता एवं सर्वोपरि जननायक थे। बाबासाहेब के नाम से दुनिया भर में मशहूर डॉ अंबेडकर भारत के सविधान निर्माता थे।

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बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जी भीम बाई के पुत्र थे और उनका जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू सेना छावनी केंद्रीय प्रांत सांसद महाराष्ट्र में हुआ था। उनके पिता भारतीय सेना में एक सूबेदार थे। बाबासाहेब अंबेडकर का जन्म गरीब दलित मेहर जाति परिवार में हुआ था। जिसके कारण उन्हें बचपन में जातिगत भेदभाव और अपमान का सामना करना पड़ा। बचपन में स्कूल के शिक्षक उन पर ध्यान नहीं देते थे और नहीं बच्चे उनके साथ बैठकर खाना खाते थे।उन्हें पानी के बर्तन को भी स्पर्श करने का अधिकार नहीं था। उन्हें अध्यापन कक्ष से सबसे अलग बिठाया जाता था।इसके बावजूद बाबा साहब सिर्फ ऐसे अकेले व्यक्ति थे जो मुंबई में एल्फिंस्टन हाई स्कूल में पढ़ने के लिए गए थे। 1912 में उन्होंने मुंबई विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र में डिग्री प्राप्त की। जून 1915 में उन्होंने अर्थशास्त्र के साथ-साथ इतिहास, समाजशास्त्र, दर्शन शास्त्र सहित कुल 32 विषयों पर डिग्रियां प्राप्त की। 1916 में वे लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में गए और अपने शोध प्रबंध पर कार्य किए। 1920 में उन्हें लंदन विश्वविद्यालय द्वारा डॉक्टरेट की उपाधि मिली और 1927 में उन्होंने अर्थशास्त्र में पीएचडी हासिल किया।

डॉ अंबेडकर स्वतंत्र भारत के संविधान के निर्माता थे ।उन्होंने भारतीय संविधान को 2 साल 11 माह और 17 दिन में लिख दिया था। डॉ साहब ने अनेकों विषयों पर पुस्तकें लिखी और उन्हें अनेकों राष्ट्रीय अलंकरणों से अलंकृत किया गया। उनके सृदृढ़ अनेकों विचार आज भी भारतवासियों के मानस पटल पर अंकित हैं।बाबासाहेब अपने पूरे जीवन में सामाजिक रूप से पिछड़े वर्गो और दलितों के अधिकारों के लिए लड़े। उन्हें जवाहरलाल नेहरु जी के कैबिनेट में भारत के पहले कानून मंत्री बनाए गए।

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को जिस जाति भेद भाव के कारण पूरे जीवन पीड़ा और अपमान का सामना करना पड़ा था उन्होंने उसी के खिलाफ लड़ने का फैसला किया। उन्होंने दलितों और अन्य बहिष्कृत लोगों के लिए आरक्षण की अवधारणा पर 1932 में चुनाव में सीटों की आरक्षण हेतु पंडित मदन मोहन मालवीय के साथ पूना संधि पर हस्ताक्षर कर मुर्त रूप दिया। बाबासाहेब आंबेडकर महात्मा गांधी की हरिजन आंदोलन में शामिल हुए। बाबासाहेब उन प्रमुख व्यक्तियों में से एक थे जिन्होंने भारत से अस्पृश्यता को समाप्त करने में बहुत बड़ा योगदान दिया।

आज भारतीय संविधान के जनक,भारत रत्न, अविस्मरणीय छवि के पुंज बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर जी की जन्म जयंती पर उन्हें शत-शत नमन करता हूं और आप सभी से गुजारिश करता हूं कि राम,कृष्ण,ऋषि-मुनियों, नेहरु, गांधी, अम्बेडकर जी के इस पावन भारत भूमि को समस्त भारतवासी आपसी द्वेष,भेद-भाव को मिटाकर उनके द्वारा प्रशस्त मार्ग का अनुसरण कर उनके सशक्त एवं समृद्ध राष्ट्र के सपनों को साकार करें।

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