स्वामी आत्मानंद स्कूल में गुरु पूर्णिमा मनाया गया,शिक्षक रविंद्र द्विवेदी को मिला श्रेष्ठ शिक्षक का सम्मान …
चांपा। स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट विद्यालय चांपा में गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर गरिमामय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में विद्यालय के शिक्षक, छात्र एवं कार्यालयीन स्टाफ उपस्थित थे। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण शिक्षक एवं साहित्यकार श्री रविंद्र द्विवेदी को संकुल स्तर पर श्रेष्ठ शिक्षक का सम्मान प्रदान किया जाना रहा।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुई। इसके बाद प्राचार्य निखिल मसीह ने शिक्षक एवं साहित्यकार रविंद्र द्विवेदी को श्रेष्ठ शिक्षक का सम्मान प्रदान किया। इस सम्मान के लिए श्री द्विवेदी को उनकी उत्कृष्ट शिक्षण शैली, समर्पण और साहित्यिक योगदान के लिए चुना गया। प्राचार्य ने अपने उद्बोधन में कहा कि शिक्षक रविंद्र द्विवेदी शिक्षा एवं साहित्य के साथ साथ सामाजिक कार्यों में हमेशा अग्रणी भूमिका का निर्वहन करते आ रहे हैं और इसी के कारण उन्हें पं दीनदयाल उपाध्याय विद्यापीठ मथुरा से विद्या वाचस्पति डॉक्टरेट मानद उपाधि से सम्मानित किया जा रहा है।
अपने उद्बोधन के आगे क्रम में प्राचार्य ने कहा कि गुरु पूर्णिमा भारतीय संस्कृति में गुरु-शिष्य परंपरा का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हमें गुरु की महत्ता का स्मरण कराता है। गुरु ही हमें ज्ञान के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं और अज्ञानता के अंधकार से हमें मुक्त करते हैं।
उप प्राचार्य भास्कर शर्मा ने सम्मानित शिक्षक रविंद्र द्विवेदी को बधाई एवं शुभकामनाएं प्रदान करते हुए कहा कि गुरु पूर्णिमा का दिन हमें हमारी संस्कृति और परंपरा की महानता का एहसास कराता है। गुरु न केवल शिक्षा के प्रदाता होते हैं, बल्कि वे हमारे जीवन को सही दिशा देने वाले पथ प्रदर्शक भी होते हैं।गुरुजनों के बिना ज्ञान की प्राप्ति असंभव है।
हिन्दी माध्यम के प्रभारी प्राचार्य रमाकांत साव ने कहा कि यह पर्व हमें हमारे गुरुओं के प्रति श्रद्धा और समर्पण का भाव जगाने का अवसर प्रदान करता है। गुरु की महत्ता को शब्दों में व्यक्त करना कठिन है, क्योंकि गुरु ही हमें जीवन का सच्चा अर्थ समझाते हैं और हमें एक बेहतर इंसान बनने के लिए प्रेरित करते हैं।
उमाशंकर चतुर्वेदी ने कहा कि हमारे जीवन में गुरु की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। वे हमें अज्ञानता से ज्ञान की ओर, अंधकार से प्रकाश की ओर, और असत्य से सत्य की ओर ले जाते हैं। गुरु के बिना जीवन की राह कठिन और असंभव हो जाता हैं।
व्याख्याता गोविंद नारायण शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि गुरु शिष्य परंपरा अत्यंत प्राचीन हैं।”गुरू केवल ज्ञान के संवाहक नहीं होते, बल्कि वे समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। गुरू बिना ज्ञान की प्राप्ति असंभव है।
रविन्द्र द्विवेदी ने कार्यक्रम में उपस्थित प्राचार्य एवं समस्त स्टाफ एवं छात्र छात्राओं को गुरू पूर्णिमा की बधाई देते हुए कहा कि –
गुरु को पारस जानिए करे लौह को स्वर्ण।
गुरू और शिष्य इस जगत में केवल दो ही वर्ण।।
गुरू पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्रेष्ठ शिक्षक के रूप में सम्मानित किए जाने पर अपने सम्मान के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा,मैं इस सम्मान के लिए विद्यालय प्रशासन एवं यहां उपस्थित आप सभी का आभारी हूं। यह सम्मान मेरे लिए प्रेरणा का स्रोत है और मुझे भविष्य में और अधिक परिश्रम करने के लिए प्रोत्साहित करेगा।कार्यक्रम का संचालन शिक्षक रविंद्र द्विवेदी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन रमाकांत साव ने किया।
इस अवसर पर छात्र हितेश देवांगन और कृष्ण गोपाल ने गुरू वंदना गीत प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया।गुरू पूर्णिमा पर आयोजित इस कार्यक्रम ने सभी उपस्थित छात्र छात्राओं को शिक्षकों के प्रति आदर और सम्मान का महत्व सिखाया और सभी के मन में गुरु पूर्णिमा पर्व के प्रति एक नई ऊर्जा का संचार किया।आयोजित कार्यक्रम अवसर में आर पी मरकाम, रामचन्द्र राठौर,श्रीमती सीमा राठौर,श्रीमती निमिषा जेम्स, श्रीमती रीतू सिंह,श्रीमती सविता महिलांग, श्रीमती पिंकी पायल मेश्राम, राजकुमार तम्बोली,राजेश उपाध्याय, सोमनाथ पाण्डेय, मनोज बघेल,संतोष यादव,विजय यादव सहित भारी संख्या में समस्त छात्र छात्राएं उपस्थित थे।