

जांजगीर-चांपा। नैला–बलौदा मार्ग एक बार फिर ग्रामीणों के गुस्से का केंद्र बन गया है। ओवरलोड ट्रेलर और भारी वाहनों की बेखौफ आवाजाही ने इस मार्ग को “मौत का रास्ता” बना दिया है। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि लोगों का धैर्य अब पूरी तरह जवाब दे चुका है।


ग्राम सिवनी नैला सहित आसपास के ग्रामीण वर्षों से आवाज़ उठा रहे हैं। ज्ञापन, चेतावनी और हाल ही में दिए गए चक्काजाम आवेदन के बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। अधिकारियों ने मौके पर लिखित आश्वासन तो दिया, लेकिन तीन दिन बीत जाने के बाद भी कार्रवाई शून्य रही।ग्राम सिवनी नैला के उप सरपंच शुभांशु मिश्रा ने साफ कहा – “यदि इस बार आंदोलन उग्र हुआ तो इसकी पूरी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। नो-एंट्री लागू करने से प्रशासन इसलिए डर रहा है क्योंकि वह ट्रेलर संचालकों के दबाव में है।ग्रामीणों का आरोप है कि हादसों से सबक लेने के बजाय शासन–प्रशासन आँख मूँदकर बैठा है। कई जाने जा चुकी हैं, अनगिनत परिवार प्रभावित हुए, लेकिन हर बार मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है।
ग्रामीणों की प्रमुख माँगें – सुबह 6 बजे से रात 11 बजे तक भारी वाहनों पर रोक, नाबालिग चालकों पर तुरंत कार्रवाई,ओवरलोड और बिना परमिट वाहनों की जब्ती, कोयला परिवहन में पारदर्शिता, ग्रामीणों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता…
आंदोलन की चेतावनी – ग्रामीणों ने अल्टीमेटम दिया है कि 20 सितंबर के बाद कभी भी बड़ा आंदोलन किया जाएगा, जिसमें हजारों ग्रामीण सड़कों पर उतरेंगे। यदि स्थिति बिगड़ी तो जिम्मेदारी पूरी तरह प्रशासन की होगी।
लोग पूछ रहे हैं कि जब जनता की जान खतरे में है तब चुने हुए प्रतिनिधि क्यों मौन हैं? ग्रामीणों का आरोप है कि कहीं न कहीं कोल ट्रेलर संचालकों और ठेकेदारों के दबाव में जनप्रतिनिधि भी चुप्पी साधे हुए हैं।ग्रामीणों का साफ संदेश है – “अब केवल आश्वासन से काम नहीं चलेगा। इस बार हमारी आवाज़ इतिहास रचेगी।”