जांजगीर-चांपा। इस साल मकर संक्रांति यानी की खिचड़ी का त्योहार 15 जनवरी को मनाया जाएगा क्योंकि भगवान सूर्य 14 जनवरी की रात को मकर राशि में प्रवेश करेंगे और उदया तिथि के अनुसार स्नान-दान का ये शुभ समय नहीं होता है सूर्य देव के रात्रि के समय में मकर राशि में गोचर करने के कारण कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा हुई है. पं अतुल कृष्ण द्विवेदी के अनुसार कोई भी पर्व हमेशा उदया तिथि के अनुसार ही मनाया जाता है और मकर सक्रांति तभी मनाई जाती है जब सूर्य का प्रवेश मकर राशि में हो जाता है जब सूर्य का प्रवेश मकर राशि में होगा तब रात होगी 8 बजकर 14 मिनट पर इसलिए मकर सक्रांति का पर्व 14 को न मनाकर 15 जनवरी को मनाना ही बिलकुल सही है और इस बार ऐसा ही होगा
जब सूर्य देव मकर राशि में गोचर करते हैं, उस समय मकर संक्रांति होती है. इस साल 14 जनवरी को रात 08 बजकर 14 मिनट पर सूर्य देव मकर राशि में गोचर कर रहे हैं. ऐसे में मकर संक्रांति का क्षण 14 जनवरी को पड़ रहा है जोकि रात का समय है. रात्रि प्रहर में स्नान, दान-धर्म के कार्य करना वर्जित होता है, इसलिए 14 जनवरी को मकर संक्रांति मनाना सही नहीं है. उदिया तिथि की वजह से अगले दिन यानी 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी।
मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त 15 जनवरी को सुबह 07 बजकर 15 मिनट से लेकर शाम 05 बजकर 46 मिनट तक रहेगा. इस दौरान स्नान और दान का विशेष महत्व है. इस दिन दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से लेकर 12 बजकर 52 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त रहेगा. वहीं 02 बजकर 16 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 58 मिनट तक विजय मुहूर्त रहेगा।
इस साल मकर संक्रांति रविवार के दिन पड़ रही है। रविवार को सूर्य देव की उपासना की जाती है और मकर संक्रांति के दिन भी सूर्य की पूजा करते हैं। ऐसे में इस बार सूर्य पूजा के लिए मकर संक्रांति का दिन और भी शुभ है।इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से उसका अधिक फल प्राप्त होगा।मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं।इस दिन से खरमास का समापन होता है और विवाह, गृह प्रवेश आदि जैसे मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।सूर्य जब उत्तरायण होते हैं तो धीरे धीरे दिन की अवधि बढ़ती है। सर्दी कम होने लगती है और तापमान बढ़ने लगता है सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास खत्म हो जाता है और विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. इस दिन के बाद से सूर्य उत्तरायण होने लगते हैं और धीरे-धीरे दिन बड़ा और रात छोटी होने लगती है। उत्तरायण को शास्त्रों में शुभ माना गया है।कहा जाता है कि महाभारतकाल में भीष्म पितामह ने अपने प्राणों को त्यागने के लिए सूर्य के उत्तरायण होने का इंतजार किया था. इस दिन तिल, गुड़, खिचड़ी, कंबल, गरम वस्त्र, घी आदि का दान शुभ माना गया है।