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भारतीय हाथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान : बच्चों के कासन मनी पर कुंडली मारकर बैठा प्रबंधन, कई सालों से डिप्लोमा सर्टिफिकेट भी नहीं मिला

पांचवीं किश्त…

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जांजगीर-चांपा। भारतीय हाथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान प्रबंधन बच्चों के कासन मनी पर कुंडली मारकर बैठ गया है। बताया जा रहा है कई सालों से यहां पढ़कर निकलने वाले बच्चों को कासन मनी नहीं दिया जा रहा है और न ही डिप्लोमा सर्टिफिकेट। इधर, प्रभारी प्राचार्य का दावा है कि मांगने पर बच्चों को कासन मनी दी जाएगी, जबकि एनओसी क्लीयर होते ही कासन मनी देने का प्रावधान है।

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पूर्व विधायक मोतीलाल देवांगन के प्रयास से वर्ष 2007 में देश के सातवें और छत्तीसगढ़ के पहले भारतीय हाथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना चांपा में हुई। इसके बाद लछनपुर में भारतीय हाथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान का संचालन खुद के आलीशान भवन हो रहा है। लेकिन अब यह संस्थान भगवान भरोसे है। इसकी पूछपरख करने वाला कोई नहीं है। जिले को बड़ी उपलब्धि मिलने के बाद सबने इसे अपने हाल पर छोड़ दिया गया। यहां प्राचार्य भी प्रभारी ही है, जिसके चलते यहां रामराज स्थापित हो गया है। लापरवाही चरम पर है, जिसके चलते शिक्षा का स्तर शून्य है। यही वजह है कि हर साल यहां से एक या दो बच्चे ही पास हो पा रहे हैं। फिर भी इस कॉलेज और बच्चों की चिंता किसी को नहीं है। अभी लापरवाही का एक और मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कॉलेज में 2019, 2020 और 2021 का बैच पास होकर निकल गया है। इसके बावजूद अब तक उन्हें डिप्लोमा सर्टिफिकेट प्रदान नहीं किया गया है। जबकि खबर मिल रही है कि इनके समकक्ष जोधपुर, वाराणसी, बरगढ़ के छात्रों को डिप्लोमा सर्टिफिकेट प्राप्त भी हो गया है। यहां के जिम्मेदारों को पूछने पर हर बार हस्ताक्षर नहीं होने का हवाला दिया जाता है। इसी तरह इस कॉलेज से पास होकर निकल चुके कुछ छात्रों ने बताया कि 2019 से पास आउट हुए छात्रों को आजतक उनका “कॉशन मनी“ नहीं दिया गया है। नियमानुसार यहां पासआउट होने के बाद हॉस्टल, लाइब्रेरी, प्रैक्टिकल लैब से नो ड्यूस लेने के बाद चार हजार रुपए दिया जाना चाहिए। छात्रों को उन्हीं के रुपए देने में आनाकानी करने के पीछे मंशा सही होने की उम्मीद कम ही है। वर्ष 2017 बैच के छात्रों का कहना है कि उन्हें भी अब तक उनका“ कॉशन मनी नहीं दिया गया है। इधर, इस पूरे मामले में प्रभारी प्राचार्य का कहना है कि डिमांड करने पर कासनी मनी दी जाती है। अब तक किसी ने मांग नहीं की है।

बच्चों के कैंपस सलेक्शन में लगा ग्रहण
कॉलेज के जिम्मेदार ही यदि अपनी आंखे मूंद ले तो बच्चों का तो भगवान ही मालिक है। यहां कैंपस सलेक्शन पर भी ग्रहण लग गया है। कोई कंपनी ही कॉलेज ना आए तो बच्चो को नौकरियां कैसे मिलेगी। यहां बच्चे अच्छे भविष्य का सपना संजोए कालेज में प्रवेश लेते जरूर है पर शिक्षा के गिरते स्तर को सुधारने प्रबंधन ही ध्यान नहीं दे रहा है, उल्टा बच्चो को ही दोषी ठहराया जाता है। ऐसे में रिजल्ट कैसे अच्छा होगा और जब इक्का दुक्का बच्चे पास होकर यहां से दूसरे राज्यों में काम की तलाश में निकलते है तो बिना अनुभव के कारण उनको अच्छा वेतनमान नहीं मिल पाता। अगर कालेज प्रबंधन शिक्षा का स्तर सुधारे और अच्छी कम्पनी को कैंपस सलेक्शन के लिए लाने का प्रयास करे तो यहां पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य सुधर सकता है।

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