राजनीतिः जांजगीर चांपा विधानसभा सीट से एक नाम चर्चा में आने से बढ़ी सबकी बेचैनी, जानिए कौन सा है वह नाम!…
जांजगीर-चांपा। विधानसभा चुनाव के लिए सरगर्मी शुरू हो गई है। जांजगीर चांपा जिला मुख्यालय की सीट होने कारण इसकी चर्चा पूरे प्रदेश में होती है। पीसीसी अध्यक्ष के आगमन पर पहले ही कांग्रेसजन नए चेहरे की मांग करते हुए हल्ला-गुल्ला कर चुके हैं। इस लिहाज से इस सीट पर नए चेहरे के रूप में कांग्रेस से ही कई दावेदार है, लेकिन इन दिनों इस सीट से गोसेवा आयोग अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास के दावेदारी की चर्चा जोरों पर है। ऐसे में अन्य दावेदारों की बेचैनी बढ़ गई है। हालांकि टिकट किसके झोली में आएगी, यह समय आने पर ही पता चलेगा।
चांपा विधानसभा और परिसीमन के बाद अब जांजगीर चांपा विधानसभा सीट भले ही सामान्य है, लेकिन 1980 से लेकर 2018 तक महज भाजपा ने बलिहार सिंह और पूरनमल अग्रवाल को ही संवर्ण वर्ग से उम्मीदवार बनाया था। जबकि वर्ष 1998 से लेकर 2018 तक कांग्रेस से मोतीलाल देवांगन और भाजपा से नारायण चंदेल को ही बार-बार मौका दिया गया। इसमें तीन बार भाजपा और दो बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की। बार-बार एक ही चेहरे के आपस में भिड़ने से जनता भी मजबूर हो जाती है। जनता के साथ-साथ कार्यकर्ता भी संगठन के प्रति अपना आक्रोश व्यक्त करते हैं। उनका नाराज होना स्वभाविक भी है, क्योंकि अपनी उम्र का एक पड़ाव संगठन की सेवा में गुजारने के बाद भी यदि उन्हें मौका न मिले तो यह कहां तक जायज है। कार्यकर्ताओं का यह आक्रोश उस समय फूट पड़ा, जब पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम जांजगीर प्रवास पर आए थे। कांग्रेस मिटिंग के दौरान भरी सभा में कार्यकर्ता नए चेहरे की मांग करते हुए हंगामा करने लग गए थे। इधर, विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया है। अभी जांजगीर चांपा जिले के एक भी सीट में कांग्रेस नहीं है, जिसके चलते हर हाल में कांग्रेस जांजगीर चांपा सहित अन्य सीटों को जीतने कोई कसर नहीं छोड़ेगी। इधर, जब से नए चेहरे की मांग उठी है, तब से करीब आधा दर्जन दावेदार अपनी प्रबल उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। इन सबके बीच एक नाम दावेदारों की सूची में और सुनने को मिल रहा है, जिसने सबकी बेचैनी बढ़ा दी है। वह नाम है गोसेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास का। सामान्य सीट होने की वजह से इस सीट से सभी वर्ग के लोग दावेदारी कर रहे हैं। हालांकि इसके पहले हुए पांच चुनावों में भी कांग्रेस की ओर से कई लोगों ने अपनी प्रबल दावेदारी पेश की, लेकिन अंत समय में पूर्व विधायक मोतीलाल देवांगन टिकट ले आने में सफल रहे हैं। अब देखना काफी दिलचस्प होगा कि संगठन पुराने चेहरे पर भरोसा जताता है या फिर कार्यकर्ताओं की मंशानुरूप किसी नए चेहरे को मौका देती है।