गौठान से समूह की महिलाओं की जिंदगी में आया उजियारा,वर्मी कम्पोस्ट, सब्जी बाड़ी, मुर्गीपालन से बदल गई महिलाओं की जिंदगी …
जांजगीर-चांपा। कपिस्दा गांव में कार्य कर रही स्व सहायता समूह की महिलाओं की अंधेरी जिंदगी में रोशनी की किरण राज्य सरकार की महत्वकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरूवा और बाड़ी के तहत बनी गौठान लेकर आई। यह गौठान उनके जीवन का हिस्सा बन गई और इससे वह आजीविका गतिविधियों में संलग्न होकर वर्मी कम्पोस्ट बनाने, सब्जी भाजी का उत्पादन कर बेचने, मुर्गीपालन करते हुए नई ऊॅंचाईयों को छूते हुए आगे बढ़ती जा रही हैं। जांजगीर-चांपा जिले की विकासखण्ड बम्हनीडीह के कपिस्दा गौठान में मुर्गीपालन आजीविका से जुड़ी जय भवानी स्व सहायता समूह का कहना है कि गौठान से महिलाएं स्वावलंबी बन रही हैं और आजीविका गतिविधियों में मुर्गीपालन के अलावा सब्जी बाड़ी, मशरूम उत्पादन का कार्य कर रही है, साथ ही जय मां शीतला समूह वर्मी कम्पोस्ट निर्माण उत्साह के साथ कार्य कर रही हैं।समूह की महिलाएं बताती हैं कि गौठान निर्माण होने के बाद से ही आजीविका गतिविधि से जुड गई और उनके जीवन में बदलाव शुरू हो गया। वहीं जय भवानी महिला समूह की अध्यक्ष श्रीमती रानू यादव एवं सदस्यों ने बताया कि गोधन न्याय योजना से जुड़ने के पहले ऐसा नहीं था, बल्कि छोटा-मोटा कुछ काम करते हुए ही जीवनयापन कर रही थीं। योजना से जुड़ने के बाद बहुत बदलाव आया है। समूह की महिलाओं ने बताया कि मुर्गीपालन की आजीविका गतिविधि का कार्य शुरू किया, जिसमें प्रारंभिक लागत 40 हजार रूपए लगाकर चूजे खरीदे। इस कार्य में धीरे-धीरे मेहनत दिखने लगी और जो सोचा उसके मुताबिक सफलता मिलने लगी। मुर्गियों को 80 हजार रूपए में विक्रय करते हुए आय अर्जित की। समूह की महिलाओं द्वारा मुर्गीपालन के अलावा सब्जी बाड़ी का कार्य भी गौठान में चारागाह क्षेत्र में किया जा रहा है। जिसमें 10 हजार रूपए की लागत लगाकर अच्छी देखरेख करते हुए, जैविक खाद एवं समय पर पानी देने से उत्पादन अच्छा हुआ और सब्जियों को बाजाार में बेचकर 15 हजार रूपए की आय अर्जित की। इसके अलावा समूह द्वारा मशरूम उत्पादन का कार्य भी किया जा रहा है।
वर्मी कम्पोस्ट से समूह ने कमाएं 1 लाख 30 हजार – कपिस्दा गौठान में गोधन न्याय योजना से जय मां शीतला स्व सहायता समूह की महिलाओं ने गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाने की आजीविका गतिविधि शुरू की। योजना के माध्यम से लगभग 9 लाख 91 हजार किलोग्राम गोबर खरीदा, इससे वर्मी कम्पोस्ट तैयार करना शुरू किया, जिसकी सतत निगरानी करते हुए 2 हजार 64 बोरी खाद तैयार कर सोसायटी के माध्यम से बेचकर लाभ प्राप्त किया। इस राशि से समूह की महिलाओं ने अपने घर-परिवार की जरूरतों, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई एवं घर की मरम्मत करने में पैसे खर्च किये।
गोबर बेचकर कमाएं पैसे– गोधन न्याय योजना में जहां समूह को लाभ मिल रहा है तो वहीं पशुपालक भी लाभांवित हो रहे हैं। गौठान में सबसे अधिक गोबर पशुपालक श्री प्रखर मिश्रा के द्वारा 65 हजार किग्रा बेचा गया। इसको बेचकर 1 लाख 30 हजार रूपए की आय अर्जित की। इसी तरह गांव के पशुपालक गंगाराम धीवर, कृपाराम पटेल, हरिदास वैष्णव के द्वारा भी गौठान में गोबर बेचा गया। पशुपालकों का कहना है कि सुराजी गांव गौठान से वह लाभांवित हो रहे हैं और गोबर 2 रूपए किलोग्राम से खरीदा जा रहा है।