छत्तीसगढ़जांजगीर चांपाबिलासपुररायगढ़रायपुर

प्रारंभ हुआ शैक्षणिक सत्र, एकबार फिर पूरे शबाब पर होगा शिक्षा का व्यवसाय, निजी स्कूल का पेट भरते पालकों का निकलेगा दीवाला…

हरि अग्रवाल@जांजगीर-चांपा। शैक्षणिक सत्र की शुरूआत होने वाली है। एकबार फिर शिक्षा का व्यवसाय पूरे शबाब पर होगा। शिक्षा व्यवसाय में अच्छी आमदनी होने के कारण निजी स्कूलों की बाढ़ आ गई है। शासन के मापदंड की धज्जियां उड़ाते हुए इनकी दुकानदारी जोरों पर है। कई स्कूल चंद कमरे में संचालित है, वहीं कई स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का टोटा है। ज्यादातर स्कूलों में खेल मैदान तक की व्यवस्था नहीं है। इन सबके बावजूद ऐसे स्कूल का हर साल आसानी से नवीनीकरण भी हो जा रहा है। जबकि मान्यता का नवीनीकरण करने से पहले शिक्षा विभाग के जिम्मेदारों को एक बार स्कूल का निरीक्षण अवश्य करना चाहिए, लेकिन आरोपों से घिरे शिक्षा विभाग ने ऐसा कदम उठाने आज तक नहीं सोचा। इसके कारण पालक निजी स्कूलों में लुट रहे हैं।

WhatsApp Image 2025 10 13 at 10.02.11 Console Corptech WhatsApp Image 2025 10 30 at 13.20.49 Console Corptech

शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के साथ ही स्कूल व शिक्षकों के संबंध में स्पष्ट गाइड लाइन शासन ने जारी किया है। जिसमें कक्षा भवन, खेल मैदान, फर्नीचर की व्यवस्था, शौचालय, स्टाफ के लिए कमरे समेत अन्य आवश्यक संसाधन के संबंध में गाइड लाइन में स्पष्ट प्रावधान है। प्राइमरी, मिडिल, हाई व हायर सेकेण्डरी स्कूल के लिए अलग-अलग श्रेणी में आवश्यक संसाधन का ब्यौरा दिया गया है। पहले से भी संचालित आधे से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों में इन गाइड लाइन का उल्लंघन होता आ रहा है। पूर्व में अधिकारियों ने ऐसे स्कूलों को गाइड लाइन के अनुसार संसाधन उपलब्ध कराने के लिए समय भी दिया था। इसके बाद भी उनके द्वारा कोई कार्रवाई अब तक नहीं की गई है। स्कूलों के पंजीयन निरस्त करने में विभाग की रूचि ही नहीं है। 90 फीसदी से ज्यादा स्कूलों में बच्चों के खेलने के लिए जगह तक नहीं है। वहीं ज्यादातर स्कूलों में बैठने की व्यवस्था तक नहीं की गई है। शहर में बड़े ब्रांड के स्कूल खुलने का सिलसिला जारी है। कुछ ऐसे स्कूल है जिसकी जानकारी तक जिला शिक्षा कार्यालय को नहीं दी गई है। विभाग द्वारा स्वतः संज्ञान लेना भी जरूरी नहीं समझा है। ज्यादातर प्राइवेट स्कूलों में जो शिक्षक अध्यापन कार्य करा रहे हैं वे पढ़ाने के लिए अपात्र है। विषयों की जानकारी भी उन्हें ही पर्याप्त नहीं है। लेकिन स्कूल प्रबंधन कम वेतन देने के नाम पर उनसे शिक्षण जैसे महत्वपूर्ण कार्य करा रहा है। वहीं ज्यादातर लोग बेरोजगारी के कारण स्कूलों में अपनी सेवाएं देना ज्यादा सुविधाजनक मान रहे हैं।

WhatsApp Image 2025 10 30 at 13.24.20 Console Corptech

हर सामान के लिए दुकान तय

पालक अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य का सपना देखकर अपनी कमाई का अधिकांश हिस्सा लुटा दे रहे हैं। इसके बावजूद निजी स्कूलों का पेट नहीं भर रहा है। यही वजह है कि गणवेश से लेकर कॉपी, पुस्तक सहित लगभग सभी पाठ्य सामग्री के लिए दुकान तय कर दिया गया है। संबंधित स्कूलों में तय पाठ्य सामग्री ही मान्य है। यदि थोड़ी सस्ती मिलने पर कोई पालक अपने से पाठ्य सामग्री खरीद लिया तो वह उस स्कूल में नहीं चलेगा। इस काम में जो पुस्तक दस रुपए में मिलना चाहिए, उसकी कीमत के लिए पालकों को 50 रुपए चुकाना पड़ रहा है। यदि फीस की बात करें तो तरह-तरह की फीस जमा करना अनिवार्य है। इतना सब होने के बावजूद कई निजी स्कूल नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। इन पर शिक्षा विभाग मेहरबान है।

Related Articles