चांपा के स्वतंत्रता सेनानी: डा.शांतिलाल गोपाल एवं नारायण बाजपेई,स्वतंत्रता के 75 वर्ष बाद भी जिनकी स्मृति में एक भी भवन उद्यान तालाब आदि का नामकरण नहीं हो पाया …
@अनंत थवाईत…आज पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है । स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों को याद किया जा रहा है । चांपा के लोग भी इस आज़ादी का अमृत महोत्सव को धूम धाम से मना रहे हैं और बात जब स्वतंत्रता आंदोलन की चलती है तो अनायास यहां के स्वतंत्रता सेनानी स्व डा.शांति लाल गोपाल एवं स्व पंडित नारायण बाजपेई जी की याद आ ही जाती है।विभिन्न राजनीतिक दलों एवं संगठनों द्वारा समय समय पर जब शहीदों एवं स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों से भेंट मुलाकात और सम्मान का कार्यक्रम किया जाता है तब लोग इनके घरों पर जाते हैं और समयानुसार रश्म अदायगी करते है। फोटो खिंचवाते है और चले आते है । लेकिन आज नगर मे इन स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर एक भी शासकीय एवं निजी स्कूल या अन्य भवन , उद्यान,सरोवर ,या कोई संस्थान आदि का नामकरण नहीं किया गया है ।
इन स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर कुछ भी निर्माण कार्य न होने के कारण यदि यह कहा जाए कि नगर की अवसरवादी राजनीति और चाटुकारिता के चलते इन सेनानियों के नाम पर कुछ नहीं बना है तो शायद कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। इसका सबसे बड़ा कारण यह कि इन सेनानियों के परिवार से कोई सक्रिय तौर पर सीधे सीधे राजनीति से नहीं जुड़े हैं । और इन सेनानियों के परिवारों के कारण नगर के किसी नेता को कोई लाभ भी नहीं होने वाला है।
आखिर क्यों नहीं हो सकता नामकरण इन सेनानियों के नाम पर ? नगर मे पालिका द्वारा अनेक स्थानों पर सामुदायिक भवन का निर्माण किया गया है और उनका नामकरण भी किया गया है । जिसमें प्रमुख रूप से छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर खेल सभागार , पूर्व विधायक जीवन लाल साव के नाम पर सामुदायिक भवन , बिसाहू दास महंत के नाम पर अस्पताल, महारानी लक्ष्मीबाई के नाम पर कन्या स्कूल ,स्वामी विवेकानंद के नाम पर रामबांधा तालाब की भूमि पर उद्यान, डा.भीमराव अंबेडकर के नाम पर सामुदायिक भवन , गांधी के नाम पर सामुदायिक भवन, महाराणा प्रताप सिंह के नाम पर रामबांधा तालाब की भूमि पर बस स्टैंड का निर्माण , पर्यटन स्थल हनुमान धारा के पास माता परमेश्वरी के नाम पर भवन का निर्माण किया गया है। और तो और पुत्री शाला का नामकरण भी पंडित मोहन लाल बाजपेई के नाम पर कर दिया गया है। गांधीवादी विचारधारा से परिपूर्ण पंडित मोहन लाल बाजपेई एक साहित्यकार थे । जब मोहनलाल बाजपेई जैसे सीधे साधे शांति प्रिय व्यक्ति के नाम पर स्कूल का नामकरण हो सकता है तो आखिर ऐसा कौन सा कारण है कि आजादी के पचहत्तर बरस बाद भी इन स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर कुछ भी नहीं है ?
आजादी के इतने वर्षों बाद भी इनकी उपेक्षा के लिए क्या नगर पालिका में बैठने वाले सत्ताधीश जिम्मेदार नहीं? भवनों संस्थानों का नामकरण किए जाने संबंधी चर्चा चलती है कुछ लोग बताते है कि शासन के संस्कृति विभाग द्वारा स्पष्ट दिशा निर्देश जारी है कि जब भी शासकीय भवनों आदि का नामकरण हो उस क्षेत्र के संबंधित शहीद, स्वतंत्रता सेनानी या किसी क्षेत्र मे विशेष उपलब्धि प्राप्त व्यक्तियों के नामों को प्राथमिकता देनी चाहिए। इसके बाद भी आज चांपा नगर में स्वतंत्रता सेनानी डा शांतिलाल गोपाल, पंडित नारायण बाजपेई और शहीद सुधीर पाठक के नाम पर कुछ भी विशेष निर्माण कार्य नहीं हुआ है।
स्वतंत्रता सेनानी डा .शांतिलाल गोपाल तो नगर पालिका के प्रथम अध्यक्ष भी रहे हैं इसके बाद भी नगर पालिका मे बैठने वाले सत्ताधीशों ने इनके नाम पर कुछ भी निर्माण नहीं किया है तो क्या इनकी उपेक्षा के लिए वे जिम्मेदार नहीं हैं ?