🔴 सवा लाख बाती से होगी महाआरती और आज़ भोग-भंडारे का भव्य आयोजन,कलयुग में शिर्डी के साईंबाबा एक इंसान के रूप में हैं भगवान,तन-मन की पीड़ाओं को दूर कर बरसों से चमत्कृत करने वाले महान संत हैं शिर्डी के सांई नाथ बाबा …
चांपा। शिरडी वाले साई नाथ बाबा के आशिर्वाद से देश के कोने-कोने में छोटे-बड़े असंख्य साईं मंदिर देखने को मिल जाता हैं । लोगों की आस्था और विश्वास का ही प्रभाव हैं कि साई मंदिर के स्थापना को दिवस मानते हुए श्रद्धालु भक्त बड़ी धूमधाम से दिवस को मनाते हैंं ,पालकी यात्रा सजाकर निकाली जाती हैं और भोग-भण्डारा लगाया जाता हैं । सुप्रसिद्ध डोगाघाट चौक , सदर बाजार, चांपा में आज से 15-वर्ष पूर्व श्रद्धालुओं के एकत्रित धन से एक छोटा-सा मंदिर बनाया गया था । हर वर्ष यहां स्थापना के प्रथम दिवस को आधार मानते हुए धूम-धाम से पालकी यात्रा बैंड-बाजा और गीत-संगीत के धूनों से निकाली जाती हैं ।
आज शहर के हृदय स्थल पर स्थित साई नाथ मंदिर के स्थापना दिवस पर दिनांक 18 दिसंबर , 2023 दिन ग्यारह बजे साई बाबा को सवा लाख की बाती से महाआरती की गई । दोपहर 3: 30 बजें गाजे-बाजें के साथ शहर के विभिन्न मार्गों का भ्रमण करते हुए सुसज्जित फूलों से लदा हुआ और बीच बीच साई बाबा की मूर्ति को स्थापित करके पालकी यात्रा निकाली गई , जो डोगा घाट चौक ,सदर बाजार,समलेश्वरी मंदिर ,देवांगन , थाना चौक ,मोदी चौक होते-होते वापस मंदिर प्रागंण पहुंची । आरती के बाद श्रद्धालुओं के लिए जलपान और प्रसादी की व्यवस्था की गई।
धार्मिक आस्था रखने वाले शशिभूषण सओनईक्षनए बताया कि वर्ष 1854 में शिरडी के एक छोटे-से गांव में सबसे पहले किशोरावस्था साईंनाथ जी को देखा गया था , बाद में साईं बाबा को एक संत के रूप में तात्या टोपे , मालसापति, बाई जी और असंख्य लोगों ने सम्मानित किया । साईंबाबा को संगीत से गहरा लगाव था। वे अक्सर ऐसी-ऐसी जगहों पर जाया करते थे । जहां-जहां लोग इकट्ठा होते थे, फिर वे समानार्थी लोगों और फकीरों के साथ मिलकर कीर्तन-भजन करते रहते थे ।अपने पैरों में घुंघरूओं को बांँधकर नाचते-गाते हुए चलते रहते थे । साईंबाबा के दर्शन और विचारधारा, सहज-सरल किंतु अत्यन्त उच्चस्तर का हैं । ढ़ीले -ढ़ाले ,सफेद कुर्ते-पायजामे में साईं बाबा जी वास्तव में एक चमत्कारिक पुरुष थे । इसीलिए पीड़ित व्यक्ति अपने-अपने दुःख दर्द भरी-भरी दास्तान लेकर पास जाते हैं । फिर कुछ पलों में हंसते-हंसते लौट आते हैं । साईंबाबा जी के शरण में जानें से सब कुछ पहले जैसा हो जाता हैं । बाबाजी किसी के साथ अन्याय या छल-कपट बाबा नहीं होने देते हैं ।
मान्यता हैं कि साईं बाबा के मंंदिरों में पूजा-पाठ, पूजा-आराधना करने वाले को मनोवांंछित फल की प्राप्ति होती हैं । साईं बाबा के प्रत्येक मंदिर में ज्योतिलश प्रज्ज्वलित होते रहता हैं । ऐसी भी मान्यताएं हैं कि निरंतर जलने वाली अग्नि की राख माथे पर लगा लेने से जटिल से जटिल बीमारियां तत्त्काल दूर भाग जाती हैं ।शिरडी के साईंनाथ बाबाजी भगवान के सदृश्य देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी स्थापित देवतुल्य हो गये हैं । भारत वर्ष के हर गांंव-गांंव शहरों-कस्बों में उनके असंंख्य अनुयायियों आज भी विद्यमान हैं । हम लोग पूरी तन्मयता, श्रृद्धा और भक्तिपूर्वक साईबाबा की पूजा-अर्चना , आराधना करने हटरी बाजार स्थित साईंनाथ जी के मंंदिर जाते हैं , दर्शन-पूजन करते हैं । शिर्डी के साईंनाथ बाबा हर मुसीबतों में सबकी रक्षा करते आये हैं । हम अगर पवित्र मन से अगर सांई बाबाजी का स्मरण करेंगें, तब वो अवश्य ही प्राणियों की रक्षा करने के लिए जरूर आतें हैं और संकट हरते हैं । सांंई बाबा जी सबकी मनोकामना पूरी करे और कृपादृष्टि सब पर बनाये रखें ।