डोंगाघाट की चल अचल संपत्ति का मामला सुर्खियों में, पब्लिक ट्रस्ट पंजीयन के लिए प्रकाशित इश्तहार पर कई लोगों ने दर्ज की कड़ी आपत्ति …
जांजगीर-चांपा। हनुमान जी मूर्ति मंदिर मठ लोक न्यास डोंगाघाट चांपा तहसील चांपा द्वारा प्रस्तुत धारा 4 छ.ग. लोक न्यास अंतर्गत पब्लिक ट्रस्ट पंजीयन के लिए प्रस्तुत आवेदन पर आपत्ति संबंधी ईश्तहार प्रकाशन के बाद एकबार फिर यह मामला सुर्खियां में है। एक अखबार में 6 नवंबर को प्रकाशित इस ईश्तहार को लेकर कई तरह की प्रतिक्रिया सामने आ रही है। लोगों का कहना है कि एक साजिश के तहत ईश्तहार का प्रकाशन ऐसे दिन में किया गया है, ताकि ज्यादा लोग आपत्ति दर्ज न करा सके।
लोगों का कहना है कि 7 नवंबर को छठ पूजा का अवकाश तो वहीं 8 नवंबर को कार्यालयीन अवधि है। इसके बाद 9 व 10 नवंबर को शनिवार व रविवार का अवकाश है। इसके बाद 11 को कार्यालयीन अवधि है। इस तरह ईश्तहार प्रकाशन के बाद लोगों को आपत्ति के लिए सिर्फ दो दिन ही मिल रहा है। इसके अलावा ईश्तहार की जानकारी भी बहुत लोगों को नहीं है। ऐसे में एक साजिश तहत पूरा कारनामा किए जाने की चर्चा जोरों पर है। पहले ही डोंगाघाट लोक न्यास संचालन के लिए गठित समिति पर मनमानी करने का गंभीर आरोप है। इतना ही नहीं, लोक न्यास की चल व अचल संपत्ति को मनमाने तरीके से उपयोग करने संबंधी शिकायत कलेक्टर जांजगीर के समक्ष लंबित है। लोगों का कहना है कि उक्त समिति लंबे समय से डोंगाघाट लोक न्यास संचालन की चल अचल संपत्ति का उपयोग मनमाने तरीके से किया जा रहा है। इसलिए समिति का गठन भी नए सिरे एक मापदंड के अधीन होना चाहिए। डोंगाघाट लोक न्यास संचालन का जिम्मा स्वयंभू समिति पदाधिकारियों को दिया जाना अनुचित है। लोगों का यह भी कहना है कि यदि डोंगाघाट लोक न्यास संचालन के लिए गठित स्वयंभू समिति को पब्लिक ट्रस्ट पंजीयन कर फिर से संचालन की जवाबदारी दी जाती है तो निश्चित ही उक्त चल अचल संपत्ति का दुरूपयोग होना स्वभाविक है। इसे ध्यान में रखते हुए ईश्तहार प्रकाशन के बाद बड़ी संख्या में लोग आपत्ति कराने पहुंच रहे हैं। चांपा एसडीएम कार्यालय में आज कई लोगों ने पहुंचकर लिखित में आपत्ति दर्ज कराई है।
सोने चांदी के जेवर व नगदी की जांच जरूरी- इस मामले में दर्ज आपत्ति में कहा गया है कि हनुमान जी मूर्ति मंदिर लोक न्यास संचालन के लिए गठित समिति का मंदिर संचालन में कोई योगदान नहीं है। बल्कि समिति के सदस्यों द्वारा मंदिर की संपत्ति को अपने ही लोगों को हस्तांतरित किया गया है। वहीं प्राप्त प्रतिफल रकम को अपने हित में दुरुपयोग किया गया है। दर्ज आपत्ति में कहा गया है मंदिर के सोने चांदी एवं नगदी पर भी हाथ साफ कर दिया गया है इस पूरे मामले की बारीकी से जांच किए बगैर लोकन्यास का पंजीयन किया जाना अनुचित है।
बेशकीमती भूमियों पर कब्जा व दुरुपयोग – चांपा एसडीएम कार्यालय में दर्ज आपत्ति में कहा गया है कि मंदिर की बेशकीमती भूमि चांपा, लछनपुर, बाबाडेरा, दर्राभांठा सहित विभिन्न जगहों पर स्थित कीमती भूमियों पर कब्जा कर अपने हित में उपयोग किया गया है। मंदिर में पहले गायें थी। कुआं भी था। एक बगीचा था। इनका उपयोग जनहित में किया जाता था, लेकिन वर्तमान में कुछ भी नहीं है। इन्हीं सब अव्यवस्थाओं के कारण मंदिर में श्रद्धालुओं का आना-जाना बहुत कम हो गया है। पहले मंगलवार और शनिवार को डोंगाघाट मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ में उमड़ती थी लेकिन अव्यवस्था और कमाई का जरिया मंदिर को बनाने के कारण श्रद्धालुओं की संख्या भी नगण्य हो गई है। इस पूरे मामले में जांच की सख्त आवश्यकता है।