बेटियों ने बेटे का धर्म निभाते हुए पिता की अर्थी को दिया कंधा, उनकी चिता को अग्नि देकर किया अंतिम संस्कार…
जिला शिक्षा अधिकारी के पद का निर्वहन करते हुए श्रीमती कुमुदिनी वाघ द्विवेदी एवं बहनों ने मिलकर बीमार पिता की सेवा करते हुए पितृधर्म का निर्वहन करते हुए पिता की अर्थी को ना सिर्फ कंधा दिया बल्कि रोते बिलखते नम एवं अश्रुपूरित नेत्रों से मुखाग्नि देकर अंतिम संस्कार का रस्म भी पूरा किया !
श्रीमती कुमुदिनी वाघ द्विवेदी के पहल पर बेटे का धर्म निभाकर तीनों बेटियों एवं नातियों ने अपने पिता/नानाजी का अंतिम संस्कार कर एक बहुत बड़ा संदेश दिया है।जिसकी सभी तरफ चर्चा है। तीनों बेटियों ने भाई ना होने पर अन्य बेटियों के समक्ष भी मिसाल पेश की है कि बेटें एवं बेटियों में कोई फर्क नहीं है। अत्यंत कर्मठ, हिंदी अंग्रेजी मराठी बंगाली सहित विभिन्न भाषाओं के ज्ञाता रहे अविस्मृत छवि के पुंज पिता वसंतराव वाघ रेलवे विभाग रायगढ़ में कार्यालय अधीक्षक के पद पर कर्तव्य निर्वहन कर सेवानिवृत्त हुए थे।85 वर्ष अत्यधिक आयु व बीमारी के चलते उनका दुखद निधन हो गया था। जिनका अंतिम संस्कार जबलपुर मध्यप्रदेश में उनके बड़ी पुत्री प्रोफेसर डॉ विजया अभिषेक कोष्टा के यहां से किया गया। जिसमें उनके नाती नातिन अरांचा,अदिति दिव्यम,शिवम, सुपुत्री डा विजया अभिषेक कोष्टा, श्रीमती कुमुदिनी रविन्द्र द्विवेदी, ज्योति सुनील वनकर एवं स्वजनों ने अंतिम संस्कार की समस्त क्रियायों को पूर्ण कराने सहयोग प्रदान किया। बीमार एवं वृद्ध पिता की तीनों बहनों ने हमेशा मनोभाव से सेवा की थी,अंतिम समय में वृद्ध पिता को बड़ी पुत्री डॉ विजया अभिषेक कोष्टा ने अपने यहां जबलपुर में अपने घर पर रखकर खूब सेवा की।बेटियों के अद्भुत सेवा कार्य, पिता के अर्थी को कंधा देना एवं अंतिम संस्कार की अनोखे पहल को सभी परिवार सहित, शिक्षित समाज, एवं अंतिम संस्कार कार्यक्रम में शामिल लोगों ने जमकर सराहा है। अभी वर्तमान में 81 वर्ष की वृद्ध मां जो कि बीमार एवं अस्वस्थ चल रही है उनकी सेवा भी बेटियों के द्वारा किया जा रहा है। अंतिम संस्कार कार्यक्रम के पश्चात प्रार्थना व श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। जिसमें सभी रिश्तेदारों सहित पारिवारिक, सामाजिक एवं कार्यक्रम में उपस्थित लोगों के द्वारा मृतक आत्मा की चिर शांति के लिए एक मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।