वर्ष 2007 में सामान्य कोटे से हुई नियुक्ति फिर 2015 में बनवा लिया बहरा होने का सर्टिफिकेट, अब युक्तियुक्तकरण का भी ले लिया लाभ …

🔴 शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला खोखरा के एक शिक्षक पर फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर पदस्थापना में लाभ लेने का शिक्षिका ने लगाया आरोप …
जांजगीर-चांपा। शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला खोखरा के एक शिक्षक पर फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र के आधार पर युक्तियुक्तकरण के दौरान अतिशेष से बचने और पदस्थापना में लाभ लेने का गंभीर आरोप लगा है। उसी स्कूल में पदस्थ रही एक शिक्षिका का आरोप है कि संबंधित शिक्षक की नियुक्ति वर्ष 2007 में सामान्य कोटे से जनपद पंचायत नवागढ़ के अधीन अन्य स्कूल में हुई थी फिर वर्ष 2015 में उसने दिव्यांग प्रमाण पत्र पेश कर न केवल शासकीय एवं अनिवार्य कार्य से बचने का पैतरा अपनाया बल्कि, उसी प्रमाण पत्र के आधार पर अब वह अतिशेष होकर वहां से स्थानांतरित होने से भी बच गया। प्रभावित शिक्षिका ने इस पूरे मामले की शिकायत कलेक्टर जांजगीर-चांपा से करते हुए उचित कार्यवाही की मांग की है तथा शिकायत पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं होने की स्थिति में उसने उच्च न्यायालय की शरण लेने की बात कही है।

शिक्षिका श्रीमती श्रद्धा राठौर पति आनंद प्रकाश राठौर ने कलेक्टर को प्रेषित अपनी शिकायत पत्र में कहा है कि नवागढ़ विकासखंड अंतर्गत शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला खोखरा में उसकी प्रथम नियुक्ति विज्ञान शिक्षिका के रूप में 30 सितंबर 2010 को हुई थी। सन 2014-15 में मर्ज हो चुके स्कूल के दो शिक्षक अभिनव तिवारी एवं तुलेश देवांगन की कार्यालय संयुक्त संचालक बिलासपुर द्वारा पदोन्नति उपरांत मई 2023 में दिव्यांग कोटे से उनकी पदस्थापना आदेश शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला खोखरा के नाम से जारीकर दिया गया। जबकि, उनकी पूर्व पदस्थापना एवं शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला खोखरा का यू डाइस कोड अलग है। इसके बावजूद उन दोनों शिक्षकों को नियम विरूद्ध ज्वाइनिंग करा दी गई।
शिकायत पत्र में आगे कहा गया है कि शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला खोखरा में पद की प्रत्याशा में शिक्षक अभिनव तिवारी को विज्ञान विषय में पदस्थ कर दिया गया जबकि, पूर्व से ही श्रीमती ममता डहरिया इसी स्कूल में विज्ञान विषय में कार्यरत थी। बाद में उनकी पदोन्नति होने पर वहां विज्ञान विषय का पद रिक्त नहीं होते हुए भी शिक्षक तुलेश कुमार देवांगन पिता ईतवारी राम देवांगन को नियम विरूद्ध ज्वाइनिंग करा दिया गया। चूंकि, तुलेश कुमार देवांगन की प्रथम नियुक्ति प्राथमिक शाला पचेड़ा में सामान्य कोटे से हुई थी। शिक्षिका का आरोप है कि शिक्षक तुलेश कुमार देवांगन द्वारा 16 जनवरी 2015 को जिला अस्पताल जांजगीर के तत्कालीन नाक, कान, गला विशेषज्ञ डॉक्टर से बहरा होने का दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाकर पदोन्नति के बाद काउंसलिंग में नजदीक के स्कूल में पदस्थापना के लिए दिव्यांग प्रमाण पत्र का गलत तरीके से लाभ लिया गया। जबकि, शिक्षक तुलेश कुमार देवांगन द्वारा विकासखंड शिक्षा अधिकारी नवागढ़ को उपलब्ध कराए गए दिव्यांग प्रमाण पत्र में उसकी वैधता प्रमाण पत्र जारी होने से तीन वर्ष तक के लिए ही उल्लेखित है।
दिव्यांग भत्ता से छूट, अतिशेष में लाभ – शिक्षिका श्रीमती श्रद्धा राठौर का आरोप है कि शिक्षक तुलेश कुमार देवांगन की नियुक्ति सामान्य कोटे से हुई है और उनके द्वारा विभाग से दिव्यांग भत्ता नहीं लिया जा रहा है। विभागीय दिव्यांग सूची में भी उनका कहीं जिक्र नहीं है मगर, पदोन्नति और पदस्थापना में उसे दिव्यांगता का पूर्ण लाभ दिया जा रहा है। उनका यह भी आरोप है कि विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय नवागढ़ में पदस्थ कुछ अधिकारी-कर्मचारियों से शिक्षक तुलेश कुमार देवांगन की परिचय है, जिसके कारण उन्हें नियम विरूद्ध दिव्यांगता का लाभ दिया जा रहा है।
राज्य मेडिकल बोर्ड से जांच की मांग – शिक्षिका श्रीमती श्रद्धा राठौर ने अपनी शिकायत में यह भी कहा है कि निःशक्तता नहीं होते हुए भी अब युक्तियुक्तकरण में अतिशेष से बचाने के लिए उसके द्वारा वर्ष 2015 में प्रस्तुत किए गए दिव्यांगता प्रमाण पत्र को वैध बताकर लाभ दिया गया है, जबकि नियमतः उनके दिव्यांगता की जांच संभाग एवं राज्य मेडिकल बोर्ड से कराकर ही उन्हें युक्तियुक्तकरण के तहत लाभ दिया जाना चाहिए था। इस संबंध में अनेक बार विकासखंड शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी एवं कलेक्टर को शिकायत पत्र प्रेषित कर उचित कार्यवाही की मांग की गई थी परन्तु, शिकायत पत्र पर अब तक कोई कार्यवाही नहीं की गई। ऐसे में इस पूरे मामले की पुनः सक्षम अधिकारियों से शिकायत कर शिक्षक तुलेश कुमार देवांगन के दिव्यांगता की जांच राज्य मेडिकल बोर्ड से कराने की मांग की गई है।

दिव्यांग संगठन ने लिया संज्ञान – शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला खोखरा के शिक्षक तुलेश कुमार देवांगन के मामले में अब छत्तीसगढ़ निःशक्तजन अधिकार सहयोग समिति ने संज्ञान ले लिया है। समिति के प्रदेश अध्यक्ष राधाकृष्ण गोपाल का कहना है कि कोई भी दिव्यांगता प्रमाण पत्र केवल तीन वर्ष के लिए जारी होता है, जिसमें स्पष्ट तौर पर इस बात का उल्लेख होता है कि समय-समय पर उसका नवीनीकरण आवश्यक है। परन्तु, तुलेश कुमार देवांगन को जिस प्रमाण पत्र के आधार पर दिव्यांगता का लाभ दिया गया है, उसकी वैधता वर्ष 2018 में समाप्त हो चुकी है। ऐसे में राज्य मेडिकल बोर्ड से उनकी दिव्यांगता की जांच कराकर पात्र मिलने पर ही उनको दिव्यांगता का लाभ मिलना चाहिए। अन्यथा, उनके विरूद्ध शासन-प्रशासन को धोखाधड़ी एवं अन्य धाराओं के तहत अपराध दर्ज करवाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो संगठन आंदोलन के लिए बाध्य होगा।