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मातृभूमि और मातृभाषा के आदर्शों पर आधारित शिक्षा का केंद्र, चांपा का एकमात्र सरस्वती शिशु मंदिर …

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चांपा।शहर में स्थित सरस्वती शिशु मंदिर न केवल एक शैक्षणिक संस्थान है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, संस्कार और आधुनिक शिक्षा का एक आदर्श संगम बन चुका है। “मां, मातृभूमि और मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं होता” इस महान विचारधारा को आत्मसात करते हुए यह विद्यालय बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए समर्पित प्रयास कर रहा है।

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सरस्वती शिशु मंदिर की विशेषता इसकी शिक्षा प्रणाली में निहित है, जहां पारंपरिक मूल्यों को आधुनिक विषयों के साथ जोड़कर विद्यार्थियों को एक संतुलित और व्यवहारिक ज्ञान दिया जा रहा है। यहां Spoken English, कंप्यूटर शिक्षा, संगीत और नैतिक शिक्षा जैसे विषयों को पाठ्यक्रम में विशेष रूप से शामिल किया गया है, जिससे विद्यार्थी तकनीकी रूप से सक्षम होने के साथ-साथ संस्कारवान भी बन सकें।

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विद्यालय प्रशासन का उद्देश्य सिर्फ किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं है, बल्कि छात्रों को जीवन में आत्मनिर्भर और आत्मविश्लेषण में सक्षम बनाना है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए स्कूल में नियमित रूप से योग, ध्यान, आध्यात्मिक चर्चा और स्वयं विश्लेषण सत्र आयोजित किए जाते हैं। इन गतिविधियों से बच्चों को मानसिक शांति, आत्मबल और एकाग्रता प्राप्त होती है, जो आज के प्रतिस्पर्धात्मक युग में अत्यंत आवश्यक है।

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व्यक्तित्व विकास की दिशा में विद्यालय द्वारा की जा रही पहल भी उल्लेखनीय है। विद्यार्थियों को गायन, विज्ञान, वाणिज्य और सांस्कृतिक विषयों की प्रभावी शिक्षा दी जाती है। इससे बच्चों की रचनात्मक क्षमता, तार्किक सोच और अभिव्यक्ति की कला विकसित होती है। स्कूल में प्रतिदिन 25 मिनट का संयमित योग एवं ध्यान कार्यक्रम भी नियमित रूप से आयोजित किया जाता है, जिससे विद्यार्थियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में संतुलन बना रहे।

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खेल को भी शिक्षा का एक महत्वपूर्ण अंग माना गया है। विद्यालय परिसर में विशाल खेल सामग्री संग्रह है, जिसका उपयोग बच्चों के मनोरंजन के साथ-साथ उनके शारीरिक और बौद्धिक विकास के लिए किया जाता है। खेल के माध्यम से अनुशासन, सहयोग और नेतृत्व जैसे गुण बच्चों में स्वतः विकसित होते हैं।

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सबसे खास बात यह है कि विद्यालय मातृभाषा हिंदी की गरिमा को बनाए रखते हुए बच्चों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार कर रहा है। यहां की शिक्षा प्रणाली न केवल विद्यार्थियों को राष्ट्रीय मूल्यों से जोड़ती है, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास और समर्पण के साथ एक उज्जवल भविष्य की ओर अग्रसर करती है।इस प्रकार, चांपा का सरस्वती शिशु मंदिर शिक्षा, संस्कृति और आधुनिकता का ऐसा संगम है, जो भावी पीढ़ी को संस्कारयुक्त, समर्थ और जागरूक नागरिक बनाने की दिशा में अग्रसर है।

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