

जांजगीर-चांपा। पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य से चलाए जा रहे पौधरोपण अभियान में जांजगीर-चांपा जिला प्रदेश में पिछड़ता नजर आ रहा है। जिले के 1801 स्कूलों में पौधरोपण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, लेकिन अब तक केवल 575 पौधे ही रोपे जा सके हैं। यह आंकड़ा महज 32 प्रतिशत है, जो जिले को अंतिम पायदान पर ला खड़ा करता है।


वन एवं उद्यानिकी विभाग के माध्यम से स्कूलों में पौधे उपलब्ध कराए गए थे, लेकिन बड़ी संख्या में स्कूलों में पौधरोपण नहीं हो सका। इसका मुख्य कारण स्कूल परिसरों में उचित स्थान की कमी और जागरूकता का अभाव बताया गया है। कई जगहों पर पौधे लगाए तो गए, लेकिन उनकी सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए, जिससे उनके जीवित रहने की संभावना कम हो गई है।
- जिले के 1801 स्कूलों में 1,64,215 छात्रों के माध्यम से पौधरोपण होना था।
- केवल 575 स्कूलों में ही पौधे रोपे गए हैं।रोपित पौधों की संख्या कुल लक्ष्य का मात्र 32% है।
- अधिकांश पौधों की सुरक्षा की व्यवस्था नहीं है, जिससे उनके नष्ट होने का खतरा है।
जिन स्कूलों में स्थान की कमी है, वहां आस-पास के क्षेत्र में, सड़क किनारे या खेत की मेड पर भी पौधरोपण किया जा सकता है। लेकिन स्कूलों के प्रधानाध्यापकों द्वारा रिपोर्टिंग सही से नहीं की गई, जिससे यह स्थिति बनी है।पर्यावरण संरक्षण की दिशा में यह प्रयास यदि पूरी गंभीरता से नहीं लिया गया तो इसके अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आएंगे। जरूरी है कि स्कूल स्तर पर जागरूकता बढ़ाई जाए, और पौधों की सुरक्षा व देखरेख सुनिश्चित की जाए, ताकि हरित भविष्य की ओर सही कदम बढ़ाया जा सके।शिक्षकों व छात्रों को इस अभियान से भावनात्मक रूप से जोड़ना होगा। साथ ही स्कूल प्रबंधन को चाहिए कि वह स्थानीय जनप्रतिनिधियों और पंचायतों की मदद लेकर पौधों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।