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रायगढ़ मिनरल्स पर वन विभाग की भूमि पर कब्जा कर रास्ता निकालने का आरोप, बाराद्वार डूमरपारा में क्रशर प्रारंभ करने नियम-कायदा ताक पर…

जांजगीर-चांपा। बाराद्वार क्षेत्र में क्रशर व खदान प्रारंभ करने किस तरह नियम-कायदों की धज्जियां उड़ाई जा रही है, इसकी बानगी रायगढ़ मिनरल्स में देखी जा सकती है। यहां प्लांट शुरू करने का काम तेजी से चल रहा है। खास बात यह है कि यहां मेन रोड से प्लांट तक जाने के लिए वन विभाग की भूमि पर ही कब्जा जमा लिया गया है, जबकि जानकारी के अनुसार वन विभाग से विधिवत अनुमति नहीं मिली है।

आपकों बता दें कि बाराद्वार क्षेत्र में क्रशर खदानों की भरमार है। इस कार्य में लाभ अधिक होने के कारण डूमरपारा क्षेत्र में नए-नए क्रशर खदान खुल रहे हैं। अभी डूमरपारा में रायगढ़ मिनरल्स फर्म से प्लांट व खदान खोलने का काम तेज गति से चल रहा है। बताया जा रहा है मुख्य मार्ग से प्लांट तक जाने के लिए फर्म के पास जमीन नहीं है, जिसके चलते वन विभाग की भूमि पर ही कब्जा जमाकर सड़क बना दी गई है। हमनें कुछ लोगों से बात की, तो उनका कहना है कि यह एरिया छीता पंडरिया वन परिक्षेत्र अंतर्गत आता है, जबकि वन विभाग की जिस भूमि से रास्ता निकाला गया है, वह कक्ष क्रमांक आरएफ 42 का है। बताया यह भी जा रहा है कि यदि उद्योग प्रयोजन के लिए यदि कोई शासकीय या फिर वन विभाग की भूमि का अधिग्रहण करना चाहे तो इसके लिए एक प्रक्रिया है। प्रक्रिया पूरी होने के बाद संबंधित विभाग की अनुमति से ही शासकीय या फिर वन भूमि का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन यहां जानकारी के अनुसार प्रक्रिया पूरी ही नहीं हुई, जिसके चलते अनुमति का सवाल ही नहीं उठता। जानकारी यह भी मिल रही है कि यह पूरा कार्य वन विभाग के कुछ लोगों की मिलीभगत से ही हो रहा है, क्योंकि ऐसा हो ही नहीं सकता है कि वन विभाग की भूमि का कोई दुरूपयोग करे और विभाग के जिम्मेदारों को खबर ही न हो। बहरहाल यह मामला प्रकाश में आने के बाद देखना काफी दिलचस्प होगा कि विभाग के जिम्मेदार किस संजीदगी के साथ कार्रवाई के लिए कदम आगे बढ़ाते है। इस संबंध में हमने प्लांट प्रबंधन से भी बात की तो उनका कहना है जो भी कार्य हो रहा है वह कानून के अनुरूप है। इधर, सक्ती और जांजगीर चांपा जिले के नए डीएफओ दिनेश पटेल का कहना है जंगल और वन भूमि की सुरक्षा उनकी पहली प्राथमिकता है जहां से भी शिकायत मिलेगी तत्परता से कार्रवाई की जाएगी।

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