छत्तीसगढ़जांजगीर चांपा

बिखरी नंदोत्सव की छटा.. विभोर हुए श्रद्धालु, कृष्ण जन्मोत्सव की मची धूम, ग्राम लोधिया में बह रही भागवत मंदाकिनी..

खरसिया। भागवताचार्य दिव्यआनंद महाराज ने ग्राम लोधिया में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस की कथा में श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग प्रस्तुत किया एवं आध्यात्मिक रहस्यों से भक्त-श्रद्धालुओं को अवगत कराया।

WhatsApp Image 2025 10 13 at 10.02.11 Console Corptech WhatsApp Image 2025 10 30 at 13.20.49 Console Corptech

द्वापर में कंस के अत्याचारों को समाप्त करने के लिए प्रभु धरती पर आए और उन्होंने गोकुल वासियों के जीवन को उत्सव बना दिया। कथा के माध्यम से आज पंडाल में कृष्ण जन्मोत्सव की धूम देखते ही बन रही थी। कथा में नंदोत्सव की धूम अद्भुत थी! ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो समूचा पंडाल ही गोकुल बन गया हो और सभी नर-नारी गोकुल वासी! इस प्रसंग में छुपे हुए आध्यात्मिक रहस्यों का निरुपण करते हुए आचार्य ने बताया जब-जब इस धरा पर धर्म की हानि होती है, अधर्म, अत्याचार, अन्याय, अनैतिकता बढ़ती है, तब तब धर्म की स्थापना के लिए करुणानिधान ईश्वर अवतार धारण करते हैं। श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण भी कहते हैं –

WhatsApp Image 2025 10 30 at 13.24.20 Console Corptech

“यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ।।”

प्रभु का अवतार धर्म की स्थापना के लिए, अधर्म का नाश करने के लिए, साधु सज्जन पुरुषों का परित्राण करने के लिए और असुर, अधम, अभिमानी एवं दुष्ट प्रकृति के लोगों का विनाश करने के लिए होता है। आचार्य ने बताया कि धर्म कोई वाह्य वस्तु नहीं है, धर्म वह प्रक्रिया है जिससे जीवन को व्यवस्थित मार्ग पर चलने एवं परमात्मा तक पहुँचने का ही मार्ग है। जब-जब मनुष्य ईश्वर भक्ति के सनातन-पुरातन मार्ग को छोड़कर मनमाना आचरण करने लगता है, तो इससे धर्म के संबंध में अनेक भ्रांतियां फैल जाती है। धर्म के नाम पर विद्वेष, लड़ाई-झगड़े, भेद-भाव, अनैतिक आचरण होने लगता है, तब प्रभु अवतार लेकर इन बाह्य आडंबरों से त्रस्त मानवता में ब्रह्मज्ञान के द्वारा प्रत्येक मनुष्य के अंदर वास्तविक धर्म का स्थापना करते हैं। कृष्ण का प्राकट्य केवल मथुरा में ही नहीं हुआ, उनका प्राकट्य तो प्रत्येक मनुष्य के अंदर होता है जब किसी ज्ञानी महापुरुष की कृपा से उसे ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति होती है।

Related Articles