चांपा। स्व. श्री शशि शुक्ला के प्रथम पुण्यस्मृति में उनके पुत्र राजीवनयन के शुभ संकल्प से समायोजित मनुष्य जीवन के लिए कल्याण के परम साधन रूप श्रीमद्भागवत महापुराण कथा महोत्सव के अंतर्गत द्वितीय दिवसीय आख्यान माला में प्रवचनकर्ता पुरी पीठाधीश्वर श्रीमद जगद्गुरु शंकराचार्य महाराज के कृपा पात्र शिष्य आचार्य प्रवर पंडित राम प्रताप शास्त्री महाराज ने कथा की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान की कथा हमारी आत्मा के लिए तृप्ति का एक परम साधन है संसार के भौतिकता में हम सबका मन व्यथित है और सबको असंतोष अपने जीवन से सुलभ हो रहा है और इस असंतोष और व्याकुलता को शांति प्रदान करने का परम साधन भगवत कथा का श्रवण है भगवान की कथा के श्रवण से हमारा विश्वास भगवान के चरणों में दृढ़ होता है जिससे एक सकारात्मक ऊर्जा हमें सुलभ होती है और जीवन की विपरीत परिस्थितियों में भी हमें दृढ़ता से आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है उन्होंने कहा कि मनुष्य का प्रथम धर्म जीव मात्र पर दया है दया धर्म का प्रथम लक्षण है इसलिए अगर हम अपने आप को मनुष्य कहते हैं तो सनातन धर्म का यह कथन है कि हमें हर जीव पर दया और प्रेम का भाव रखना चाहिए और उससे ही भगवान की प्रसन्नता है ध्रुव चरित्र पर आचार्य श्री ने कहा कि बाल्यावस्था ही जीवन के संस्कारों का मूल है और जब माताएं सुनीति हो जाती हैं और उत्तम संस्कार बाल्यावस्था से ही अपने संतान को प्रदान करती हैं तो उनके बच्चों के चरित्र को अनादिकाल तक लोक और समाज में गाया जाता है आज के परिपेक्ष में माताओं को सुनीति बनने की आवश्यकता है ताकि वह भी एक राष्ट्रभक्त एक हिंदू सनातन धर्म के सेवक पुत्र को जन्म देकर के संस्कार देकर के लोक और समाज का कल्याण कर सकें कथा में भारी संख्या में भक्तजन उपस्थित होकर के इस कथा का परम लाभ ले रहे हैं।कथा स्थल: उमा उत्सव वाटिका, पूराना कालेज रोड, चांपा कथा समय, दोपहर 02 बजे से 06 बजे तक।
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