जांजगीर में मेडिकल कॉलेज प्रारंभ करने की राह में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अटका सकता है रोड़ा, एनएमसी नियम के तहत जांजगीर, चांपा या जिला अभी नहीं है पात्र…

जांजगीर-चांपा। जिले में मेडिकल कॉलेज प्रारंभ करने को लेकर फिर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। छत्तीसगढ़ सरकार ने बजट में भी यहां मेडिकल कॉलेज प्रारंभ करने को शामिल कर लिया है। मेडिकल कॉलेज के स्थल चयन को लेकर नदी के इस पार और उस पार दोनों जगह प्रयास जारी है। ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग का वह नियम इस रास्ते में रोड़ा अटका सकता है। क्योंकि जहां मेडिकल कॉलेज प्रारंभ किया जाना है, वहां 300 बेड का मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल दो सालों से संचालित होना अनिवार्य है। इस नियम के मुताबिक, जांजगीर और चांपा दोनों जगह या पूरे जिले में भी 300 बेड का मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल नहीं है।
जांजगीर चांपा जिले में मेडिकल कॉलेज प्रारंभ होने की स्वीकृति मिलना बहुत बड़ी उपलब्धि है। यहां के नेताओं का यह प्रयास काबिले तारीफ है। यहां मेडिकल कॉलेज प्रारंभ होने के बाद जहां चिकित्सा क्षेत्र की पढ़ाई करने वाले बच्चों को बाहर जाना नहीं पड़ेगा तो वहीं यहां विभिन्न बीमारियों का इलाज भी संभव हो सकेगा। लेकिन यहां जिस स्थिति में अभी यह जिला है, उसमें मेडिकल कॉलेज खुल पाना इसलिए संभव नहीं है, क्योंकि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने मेडिकल कॉलेज प्रारंभ करने के लिए संबंधित जगह या जिले में दो सालों से 300 बेड का मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल संचालित होना चाहिए। इस मापदंड को जांजगीर का जिला अस्पाल या फिर चांपा का बीडीएम अस्पताल दोनों पूरा नहीं करते। यहां तक जिले में भी कोई 300 बेड का मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल संचालित नहीं है। ऐसी स्थिति में 300 बेड का मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल बनाने के लिए लंबा समय लग सकता है। अभी तो चांपा और जांजगीर का अस्पाल महज रेफर सेंटर के अलावा और कुछ भी नहीं है। दोनों जगह विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव है। संसाधन की भी समस्या से दोनों अस्पताल जूझ रहे हैं। अभी जिस तरह पहले तत्कालीन कलेक्टर तारण प्रकाश सिन्हा और कलेक्टर ऋचा चौधरी के स्थल निरीक्षण और विधानसभा में प्रस्ताव पास होने के बाद मेडिकल कॉलेज स्थापना को लेकर जांजगीर और चांपा में मांगों की लंबी फेहरिस्त चली। इसी तरह राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग के नियम मुताबिक जांजगीर या चांपा के अस्पताल को 300 बेड का मल्टीस्पेशलिटी हॉस्पिटल बनाने की दिशा में प्रयास करना चाहिए।
जांजगीर और चांपा दोनों को सुविधा
केंद्र सरकार ने चिकित्सा सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए नए मेडिकल कॉलेज की स्थापना के लिए 25 एकड़ भूमि की मौजूदा अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने एकमुश्त जमीन की अनिवार्यता पर कुछ छूट दी है। इसके मुताबिक पर्वतीय व शहरी क्षेत्रों में यदि एकमुश्त 25 एकड़ जमीन उपलब्ध नहीं है तो दो हिस्सों की जमीन को भी मंजूरी मिल सकेगी। लेकिन इन दोनों हिस्सों का दायरा अधिकतम 10 किलोमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। ऐसी स्थिति में चांपा और जांजगीर में मेडिकल कॉलेज प्रारंभ करने का चल रहा संघर्ष भी समाप्त हो सकता है।
कलेक्टर स्तर का है मामला
इस संबंध में हमनें जब सीएमएचओ डॉ. आरके सिंह से बात की तो उनका कहना है कि यह शासन स्तर का मामला है। कलेक्टर इस प्रकरण को नेशनल मेडिकल कमीशन में राज्य शासन की ओर से पेश करेंगे। उन्हीं के अधिकार क्षेत्र का है यह मामला। प्रकरण में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) क्या रवैया अपनाती है वो प्रकरण पेश होने के बाद ही पता चल पाएगा।