छत्तीसगढ़जांजगीर चांपा

महिलाओं ने अपने पति की लंबी आयु के लिए रखा व्रत, सिद्धेश्वर नाथ एवं वट वृक्ष का पूजा अर्चना कर महिलाओं ने मांगी अपने पति की लंबी आयु…

खरसिया ग्राम सरवानी की महिलाओं ने सिद्धेश्वर नाथ मंदिर बरगढ़ में भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना कर वट सावित्री की पूजा किया वट सावित्री की कथाएं महिलाओं सुनी और अपने पति की लंबी आयु के लिए सिद्धेश्वर नाथ वट वृक्ष की पूजा अर्चना की। राजकुमारी सिदार, नारायणी पाण्डेय,सरिता साहू, बरगढ सिद्धेश्वर नाथ मंदिर प्रांगण में ईश्वरी दर्शन,कमला डनसेना,मेनका डनसेना, त्रिवेणी जायसवाल सहित अन्य महिलाओं ने भी अपनी पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखा।

वट सावित्री की पौराणिक कथाएं

वट सावित्री व्रत विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। हिंदू धर्म में इस व्रत का विशेष महत्व बताया जाता है। इस व्रत की कथा माता सावित्री और उनके पति सत्यवान से जुड़ी है। हर साल ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत पड़ता है। ये व्रत सुहागिन महिलाओं के साथ-साथ कुंवारी कन्याएं भी करती हैं। विवाहित महिलाएं इस व्रत को अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन की कामना से रखती हैं तो कुंवारी लड़कियां अच्छे वर की प्राप्ति के लिए वट सावित्री पूजा करती हैं।

हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, सावित्री मद्र देश के राजा अश्वपति की पुत्री और सत्यवान की पत्नी थी। सावित्री दिखने में बेहद सुंदर थीं। पिता ने सावित्री पर ही उसके वर चुनने का अधिकार दिया था। कुछ समय बाद सावित्री ने शाल्व देश के एक प्रसिद्ध अंधे धर्मात्मा क्षत्रिय राजा द्युमत्सेन के पुत्र सत्यवान से विवाह करने का प्रस्ताव रखा। सावित्री ने अपने पिता से कहा उनके राज्य को शत्रुओं ने हड़प लिया है और वे दोनों तपोवन में निवास कर रहे हैं। सावित्री के प्रस्ताव के बाद नारदजी आए और कहें कि सत्यवान गुणों से तो संपन्न है। लेकिन, यह अल्पायु है और एक वर्ष बाद इसकी आयु पूरी हो जाएगी। तब भी सावित्री, सत्यवान से ही विवाह करने पर डटी रही। बेटी के जिद्द के आगे पिता अश्वपति को झुकना पड़ा और उसका विवाह सत्यवान से करवा दिया। नारद जी के कहे अनुसार, एक वर्ष पूरा हो जाने के बाद एक वृक्ष के नीचे सत्यवान की मृत्यु हो गई। पति के मृत शरीर को मृत्यु लोक में ले जा रहे यमराज को देख सावित्री ने उसका पीछा किया।यमराज ने सावित्री को खूब समझाया लेकिन सावित्री नहीं मानी। अंत में यमराज, सावित्री से प्रसन्न हो गया और उसके पति सत्यवान को पुन: जीवित कर दिया।

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