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एक पुलिस जवान की संवेदनशीलता अपने आप में मिसाल, सीमेंट के बढ़ते जगलों के बीच गौरैया का घर बसाने का जूनून…

राघवेंद्र वैष्णव@रायगढ़। पुलिस की नौकरी में समय का अभाव किसी से छिपा नहीं है। एक पुलिस जवान अपनी दैनिक सेवा में बमुश्किल अपने परिवार के लिए समय निकाल पाता है। इसी तरह की दिनचर्या लिए रायगढ़ जिला पुलिस में पदस्थ जवान प्रदीप ईजारदार अपने विशिष्ट कार्यशैली की वजह से अपने विभाग के अलावा समाज में अपनी विशिष्ट पहचान बनाए हुए हैं।

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प्रदीप इजारदार छग पुलिस में सेवा करने के अलावा एक स्पोर्ट्स मेन भी है। प्रदीप अपनी अचूक निशानेबाजी के बदौलत पुलिस विभाग सहित अपने शहर और राज्य का नाम राष्ट्रीय स्तर में कई बार रौशन किया है। प्रदीप अभी ’मिशन गौरैया’ का हिस्सा बनकर हमारे बीच तेजी से विलुप्त होती इस नन्ही पक्षी प्रजाति के पुनर्वास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। प्रदीप अपने थोड़े से वेतन में अपने घर की जरूरतों और खेल गतिविधियों के खर्चे के अलावा मिट्टी से बना एक बसेरा लोगों को मुफ्त में वितरित कर रहे हैं। ताकि हमारे बीच गौरैया की घटती जनसंख्या को अविलंब रोका जा सके। इस मुहिम के विषय में प्रदीप बताते है कि ’मिशन गौरैया 2023 हमारा मकसद गौरैया को घर प्रदान करना है, ताकि उनकी विलुप्त होती प्रजाति को रोका जा सके और उनकी जनसंख्या बढ़ने में मदद की जा सके। गौरैया एक ऐसी पक्षी है, जो इंसानों के करीब बने घरेलू प्राकृतिक वातावरण में रहना पसंद करती है। लेकिन हमारे अंधे विकास की दौड़ ने गौरेया और इस जैसी दूसरी घरेलू पक्षियों का प्राकृतिक आवास छीनना शुरू कर दिया। गांव और शहरों के आसपास तेजी बढ़ता औद्योगिक करण, नगरीकरण और अन्य दूसरे प्रकार के विकास कार्यों के लिए हमने बड़ी संख्या में जंगल और पेड़ पौधे काटे हैं। आबादी के बीच स्थित यही पेड़ गौरेया चिड़िया का सहज प्राकृतिक आवास हुआ करते थे। पेड़ों की जगह हमने सीमेंट के जंगल खड़े कर दिए। इससे गौरेया का घर उजड़ने लगा। सच कहें तो हमने अपना पक्का घर बनाने के चक्कर में इनका घर उजाड़ दिया। जिससे उनकी संख्या में काफी गिरावट आई। वही खेतो में इस्तेमाल हो रहे रासायनिक कीटनाशक दवा का इस्तेमाल भी गौरेया की घटती संख्या के लिए बड़ी जिम्मेदार रही है। इधर हम टूजी से 5जी में पहुंच गए है। हमें हमारी चाही सारी सुविधा प्राप्त भी हो रही है। तो क्या हम अपने घरों में थोड़ा सा जगह इस नन्ही सी प्यारी चिड़िया को नही दे सकते है??

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एक बसेरा घर में अवश्य बनाएं
हमने हमारी सुविधाओं के लिए बड़ी संख्या में पेड़ काटे है। यही पेड़ वन्य जीव-जंतुओं और पक्षियों का प्राकृतिक आवास हुआ करते थे। हमारे द्वारा उन्हे बुरी तरीके से उजाड़ा गया है, संभवतः वो उन्हें अब हम वापिस नहीं कर पाएंगे। प्रदीप का मानना है कि इन सभी विषयों के लिए हम सरकार को एक तरफा दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। कुछ जिम्मेदारी हमें भी पूरी करनी होगी। आइए आप हम सभी ’मिशन गौरेया मुहिम’ का हिस्सा बने और एक बसेरा अपने घर में अवश्य लगाएं।

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