
जांजगीर-चांपा। नगर पालिका अध्यक्ष जय थवाईत ने आज भोजली पर्व की पूरे क्षेत्रवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी है साथ ही उन्होंने इस अवसर पर मित्रता का अभूतपूर्व उत्सव ’भोजली’ पर्व को प्राचीन सांस्कृतिक परपंराओं को सहेजने की दिशा में सराहनीय बताया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भोजली का पर्व हमारी विशिष्ट छत्तीसगढ़ी संस्कृति है भोजली मित्रता का उत्सव भी है। छत्तीसगढ़ में मित्रता के अटूट बंधन के लिए भोजली बदने की परंपरा रही है। इस तरह से भोजली केवल एक पारंपरिक अनुष्ठान नहीं रह जाता बल्कि लोगों के दिल में बस जाता है।

नपाध्यक्ष जय थवाईत ने आगे कहा कि भोजली को सावन शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को घर में टोकरी में उगाने के लिए गेहूं के दाने को भिगोकर बोया जाता है।सात दिन तक विधि-विधान से पूजा अर्चना कर भोजली की सेवा की जाती है। इसमें भोजली माता की पूजा होती है। इसलिए इसे भोजली पर्व कहते हैं। बता दें कि ये प्राचीन प्रथा है जो सालों से चलती आ रही है।जब हमारी संस्कृति बचेगी, तभी हम बचेंगे। तभी हमें अपनी संस्कृति पर गौरव होगा, तभी हमारा आत्मविश्वास भी बढ़ेगा।