समस्त भय से मुक्ति देती है माँ कालरात्रि,कल सप्तमी को मध्य रात्रि में चढ़ेगा निम्बू माला – पं द्विवेदी
चांपा। नगर की कुल देवी श्री माँ समलेश्वरी मंदिर में शारदीय नवरात्रि बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। प्रतिदिन माँ समलेश्वरी के समक्ष दुर्गासप्तशती का पाठ हो रहा भक्त माँ के दर्शन के लिए लाइन पर अपनी बारी का इंतजार करते है। पं अतुल कृष्ण द्विवेदी के अनुसार सप्तमी पर मध्य रात्रि माँ समलेश्वरी के समक्ष माँ कालरात्रि को स्वेत बलि निम्बू की माला अर्पित की जाएगी सप्तमी पूजन शनिवार दिनांक 21-10-2023 को मध्य रात्रि 11 बजे माँ को भक्तो और श्रद्धालुओं द्वारा अर्पित की जाएगी।पं द्विवेदी बताते है कि देवी भागवत में आख्यान आता है कि निम्बू माला ( श्वेत बलि ) चढ़ाने के पीछे मान्यता है कि मां काली को प्रसन्न करने के लिए पहले बली और नरमुंडों की माला चढ़ाई जाती थी।यह आज के समय में असंभव है।ऐसे में मां के इस रौद्र रूप को प्रसन्न करने के लिए और उनका आशीर्वाद पाने के लिए इन मालाओं की जगह पर नींबू की माला माता काली की मूर्ति पर चढ़ाते हैं।
क्यूँ की जाती है माँ कालरात्रि की महानिशा पूजा – पं द्विवेदी के अनुसार नवरात्रि के सातवें दिन माता दुर्गा के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा अर्चना की जाती है. माता कालरात्रि का शरीर अंधकार की तरह काला होता है. मां के बाल लंबे और बिखरे हुए होते हैं। गले में माला है, जो बिजली की तरह चमकती रहती है।मां के एक हाथ में खड्ग, एक में लौह शस्त्र, एक हाथ में वरमुद्रा और अभय मुद्रा होती है।मां कालरात्रि की पूजा अर्चना से अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है. इसलिए तंत्र मंत्र के साधक मां कालरात्रि की विशेष पूजा करते हैं माता की विशेष पूजा रात्रि में होती है।सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से भूत, प्रेत या बुरी शक्तियों से छुटकारा मिलता है और भय समाप्त होता है।मां कालरात्रि को गुड़ और गुड़ से बनी चीजें पसंद है इसलिए महा सप्तमी के दिन माता रानी को गुड़ से बनी चीजों का भोग लगाने से वे प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।