
🔴 बदलाव: एबीवीवी में नए सत्र से नई शिक्षा नीति का कोर्स, 30 हजार से ज्यादा छात्र लेंगे फर्स्ट ईयर में एडमिशन। अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के अंतर्गत 5 जिले बिलासपुर, कोरबा, जांजगीर-चांपा, मुंगेली और गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के 125 कॉलेज आते हैं। आगामी शिक्षा सत्र से सभी के सभी 125 विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू कर दी जाएगी।
बिलासपुर। अटल बिहारी वाजपयी विश्वविद्याल (एबीवीवी) में नए सत्र से राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू होने जा रही है। इस नए बदलाव में अब छा3त्रों को वार्षिक परीक्षा से मुक्ति मिलेगी। इसकी जगह सेमेस्टर प्रणाली से हर छह माह में परीक्षा देनी होगी। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले कुलपतियों की बैठक में सभी विश्वविद्यालयों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू किए जाने और सिलेबस तैयार किए जाने को लेकर चर्चा की गई थी।अब तक सिलेबस तैयार नहीं हो पाया है, जिसके चलते सेकंड ईयर में प्रमोट हुए छात्र-छात्राओं को राष्ट्रीय शिक्षा नीति का लाभ नहीं पाएगा।
इसके तहत पहली बार 30 हजार से अधिक फर्स्ट ईयर के छात्र राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत एनरोल किए जाएंगे। वहीं पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शहर के ऑटोनोमस कॉलेजों में पहले ही राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की जा चुकी है। लेकिन मौजूदा समय में जो छात्र फर्स्ट ईयर पास कर सेकंड ईयर में पहुंचे हैं उन्हें “ओल्ड कोर्स” ही पढ़ना होगा। नए सत्र की भर्ती प्रक्रिया आगामी जून माह से शुरू हो जाएगी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पढ़ाई का पूरा फोकस स्किल डेवलपमेंट, स्किल लर्निंग पर दिया गया है। इसका मुय उद्देश्य है कि कॉलेज की पढ़ाई करने के बाद छात्र-छात्राएं स्टार्टअप की तरफ भी बेहिचक आगे बढ़ सकें। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत राज्य भर के सभी विश्वविद्यालयों में समान सिलेबस तैयार किया जा रहा है। जिसे जुलाई तक तैयार कर लिए जाने की उमीद जताई जा रही है। इससे छात्र-छात्राओं को यह फायदा होगा कि अब उन्हें एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय में एडमिशन लेने में विषयों की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षकों के लिए ट्रेनिंग या वर्कशॉप का आयोजन नहीं किया गया है। स्किल्ड कोर्सेज आने पर टीचरों के लिए वर्कशॉप तैयार करने की बात कही जा रही है।कुछ कॉलेजेस में कोर्स लिमिटेड है जिसके चलते छात्र विभिन्न विषयों का चुनाव नहीं कर सकेंगे। जैसे साइंस कॉलेज में विज्ञान से सबंधित ही कोर्सेज उपलब्ध है, अगर कोई छात्र बी.एस.सी बायो के साथ इतिहास विषय की पढ़ाई करना चाहता है तो उसके लिए यहां ऑप्शन उपलब्ध नहीं होंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत स्नातक का पाठ्यक्रम चार साल का होगा। पहले साल की पढ़ाई के बाद विद्यार्थियों को सर्टिफिकेट, दूसरे साल में डिप्लोमा, तीसरे साल स्नातक की डिग्री एवं चौथे साल आनर्स प्रदान किया जाएगा। आनर्स की डिग्री हासिल करने वाले विद्यार्थी स्नातकोत्तर की पढ़ाई किए बिना शोधकार्य प्रारभ कर सकेंगे। बीच में पढ़ाई बाधित होने पर विद्यार्थी अपने क्रेडिट के आधार पर दोबारा फिर से प्रदेश लेकर आगे की पढ़ाई पूरी कर सकेंगे।
अब छात्रों को विषय चुनने की आजादी होगी। उद्धरण के तौर पर अगर अब बी.कॉम छात्र चाहे तो वह बीकॉम की पढ़ाई के साथ ही साथ इतिहास की पढ़ाई भी कर सकेगा। वहीं न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत अब फाइनल ईयर की पढ़ाई पूर्णत: रिसर्च बेस होगी। अब छात्र-छात्राओं को मार्केट के डिमांड के हिसाब से स्किल्ड बनाने पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। गौरतलब है कि जून के प्रथम सप्ताह से कॉलेज में एडमिशन के लिए आवेदन शुरू हो जाएंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से विद्यार्थियों का समग्र विकास होगा। मातृभाषा में शिक्षा को समझने से सभी विद्यार्थियों को लाभ होंगा। साथ ही शिक्षा के माध्यम से राष्ट्रीयता का जागरण और समाज के उत्थान में कार्य करने में युवाओं की भूमिका होंगी। राष्ट्रीय शिक्षा निति में पढाई की गुणवत्ता पर अधिक जोर दिया गया है। इसके तहत अब रोजगार मूलक एवं रोजगार सृजन वाले कोर्सेज विद्यार्थी अध्यन कर पाएंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति से विकसित भारत उद्देश्य को हम प्राप्त कर पाएंगे।
सिलेबस तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। अब सभी विश्वविद्यालयों के लिए समान सिलेबस तैयार किए जाएंगे जिससे छात्र-छात्राओं को पढ़ाई छोड़ने के बाद फिर से स्टार्ट करने में तकलीफों का सामना न करना पड़े। लेकिन, राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत एडमिशन प्रक्रिया शुरू होने से पहले ही सिलेबस तैयार कर लिए जाने चाहिए थे ताकि एडमिशन के बाद छात्रों को दिक्कतों का सामना न करना पड़े। हालांकि जुलाई तक नए सिलेबस तैयार कर लिए जाने की बात कही जा रही है – डॉ. तरुणधर दीवान, परीक्षा नियंत्रक, एबीवियु।