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पालकी पर बैठकर आ रही माँ दुर्गा, समाज के लिये नहीं माना जाता है शुभ – पंडित द्विवेदी

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जांजगीर-चांपा। नवरात्रि में मां दुर्गा का आगमन विशेष सवारी या वाहन में होता है। मां की सवारी के ही शुभ-अशुभ समय का अनुमान लगाया जाता है। इस बार शारदीय नवरात्रि में माता रानी पालकी में आएंगी।

पंडित अतुल कृष्ण द्विवेदी के अनुसार नवरात्रि का त्योहार साल में चार बार मनाया जाता है, जिसमें दो प्रत्यक्ष और दो अप्रत्यक्ष नवरात्र होते हैंआश्विन माह में पड़ने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है।शारदीय नवरात्रि प्रत्यक्ष नवरात्रि होती है, जिसे देशभर में उत्सव की तरह धूमधाम के साथ मनाया जाता है। साथ ही शारदीय नवरात्रि अन्य तीनों नवरात्रि में सबसे अधिक प्रचलित और लोकप्रिय भी है।
पंचांग के मुताबिक नौ दिवसीय नवरात्रि का पर्व आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक होता है। तिथि अनुसार इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार 03 अक्टूबर से हो रही है, जिसका समापन 12 अक्टूबर 2024 को होगा।नवरात्रि के इन नौ दिनों में जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा ने अलग-अलग नौ रूपों की पूजा की जाती है।
पालकी पर आ रही हैं माता रानी- पंडित द्विवेदी बताते है की माता रानी के आगमन या विदाई का वाहन क्या होगा यह वार के अनुसार तय होता है। इसलिए हर बार माता रानी की सवारी बदल जाती है. इस वर्ष शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार के दिन से होगी। ऐसे में माता रानी का वाहन पालकी रहेगा। कहा जाता है कि नवरात्रि की शुरुआत जब गुरुवार के दिन होती है तो मां की सवारी डोली या पालकी होती है।
पंडित द्विवेदी बताते है की शारदीय नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के पाठ का भी विशेष महत्व है ऐसी मान्यता है कि श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना जैसे नौकरी संतान भूमि भवन और वाहन सभी मनोकामनाएं जल्द पूर्ण होती है। यदि दुर्गा सप्तशती का पाठ सही समय पर किया जाए तो माता रानी की अति विशेष कृपा प्राप्त होती है।

ये है दीप प्रज्वलन का शुभ मुहूर्त- शुभ की चौधड़िया
सुबह 06:08 से 07:33 तक
चल की चौघड़ियाँ
सुबह 10:35 से 12:05
लाभ की चौघड़िया
दोपहर 12:04 से 01:55

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